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अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में छाएगा गुआंतानामो जेल का मुद्दा! बिडेन ने किया बंद करने का समर्थन

अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव में गुआंतोनामो जेल भी एक मुद्दा बनता जा रहा है। हाल ही में ट्रंप के प्रतिद्वंदी जॉ बिडेन ने इसको बंद करने के लिए अपना समर्थन दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 03:56 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 03:56 PM (IST)
अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में छाएगा गुआंतानामो जेल का मुद्दा! बिडेन ने किया बंद करने का समर्थन
अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में छाएगा गुआंतानामो जेल का मुद्दा! बिडेन ने किया बंद करने का समर्थन

वाशिंगटन (न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स)। आने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव में डोनाल्‍ड ट्रंप के प्रतिद्वंदी जॉ बिडेन ने गुआंतोनामो बे जेल को बंद करने की अपनी इच्‍छा जताई है। हालांकि उन्‍होंने न तो ये बताया कि वो इसको कैसे करेंगे और न ही ये बताया कि वहां पर बंद कैदियों को लेकर उनकी क्‍या नीति है। लेकिन उन्‍होंने इतना जरूर कहा है कि यदि वे चुनाव में जीते तो इस मिलिट्री जेल को बंद करने का समर्थन जरूर करेंगे। आपको बता दें कि इस जेल की गिनती दुनिया की कुछ सबसे दर्दनाक और भयावह जेलों में गिनती होती है। कई बार मीडिया के जरिए इसकी दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यहां पर 9/11 हमले की साजिश रचने के आरोपी भी बंद हैं। यहां पर ये भी बताना जरूरी हो जाता है कि इस जेल को बंद करने की कोशिश पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने भी की थी लेकिन वो इसमें विफल रहे थे।

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उन्‍होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जिसको लेकर बराक ओबामा ने भी आवाज उठाई उस जेल को बंद करने का समर्थन वो भी करते रहेंगे। बिडेन ने इससे पहले बीते वर्ष दिसंबर में भी इस मुद्दे पर हुई डिबेट में अपना यही पक्ष रखा था। गौरतलब है कि जब ओबामा ने इसको लेकर आवाज उठाई थी तब बिडेन उपराष्‍ट्रपति थे। उस वक्‍त उन्‍होंने कांग्रेस पर ठगने का आरोप लगाया था। लेकिन तब उन्‍होंने इस विषय पर आगे की राह सुझाने की बजाए दूसरे मुद्दों पर बात करना मुनासिब समझा था।

क्लिंटन प्रशासन में काम करने वाले रॉय नील का कहना है कि ओबामा वादा करने के बाद भी इसको बंद नहीं करवा सके थ। उनका मानना है कि ये एक ऐसा मुद्दा है जिसपर लोगों का कोई ध्‍यान ही नहीं है। इस मुद्दे से मतदाताओं का एक भी वोट हासिल नहीं होता है। उनके मुताबिक इसी वजह से ओबामा ने इसको पीछे छोड़ दिया था।

आपको बता दें कि इस जेल की शुरुआत पूर्व राष्‍ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश ने की थी। एकबार उन्‍होंने इसको बंद करने की मंशा भी जताई थी। लेकिन उस वक्‍त उपराष्‍ट्रपति रहे डिक चिनी इससे ये कहते हुए पीछे हट गए थे कि ये उनके दायरे में नहीं आता है। हालांकि उन्‍होंने इस बदनाम जेल को सभी मॉडर्न सुविधाओं से लैस करने और कैदियों केलिए सुरक्षित बनाने की बात जरूर की थी। वहीं ट्रंप की बात करें तो वर्ष 2016 में जब उन्‍होंने अफगानिस्‍तान से अपनी सेनाओं की वापसी का एलान किया था तब उन्‍होंने कहा था कि वह इस जेल का विस्‍तार करेंगे। लेकिन उनहोंने किया कुछ नहीं। यहां पर रखे गए कैदियों में आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकी भी हैं, जिन्‍हें सीरिया ओर इराक से यहां पर लाया गया।

ट्रंप प्रशासन के पूर्व नेशनल सिक्‍योरिटी एडवाइजर ने अपनी किताब में लिखा है कि राष्‍ट्रपति ट्रंप वो यहां पर इस्‍लामिक स्‍टेट के कुछ और आतंकियों को सीरिया से लाना चाहते थे लेकिन रक्षा मंत्री जिम मेटिस द्वारा विरोध करने पर उन्‍हें ये विचार छोड़ना पड़ा था। बुश प्रशासन के दौरान यहां पर 2008 में करीब 540 कैदियों को लाया गया था। हीं ओबामा प्रशासन के दौरान यहां पर नए कैदियों पर लाए जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। लेकिन उनके इस आदेश को ट्रंप ने राष्‍ट्रपति बनने के बाद बदल दिया था।

आपको बता दें कि वर्ष 2002 में इस जेल को क्‍यूबा में काफी समय पहले अमेरिका द्वारा लीज पर ली गई जमीन पर शुरू किया गया था। न्यूयॉर्क के 9/11 हमले के बाद अमेरिका द्वारा आतंकवाद के खात्‍मे को लेकर लेकर शुरू किए गए ऑपरेशन के बाद इसकी शुरुआत की गई थी। यहां पर बेडि़यों में जकड़े और नारंगी रंग की ड्रेस पहने इन कैदियों को लेकर कई बार मीडिया के माध्‍यम से दिल दहलाने वाली खबरे सामने आईं। बेहद कम जगह पर ठूंस-ठूंस कर रखे गए इन कैदियों को लेकर कई बार अमेरिका पर अंगुली भी उठी।


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