बाइडन और गनी के बीच 23 जुलाई को हुई थी राजनीतिक रणनीति पर आखिरी बातचीत
गनी के तीन लाख सैन्य बल तालिबान के 70-80 हजार की फौज के सामने नहीं टिक पाए। तालिबान के सामने अफगानिस्तानी सेना ने बिना लड़े ही हथियार डाल दिए थे। बाइडन और गनी को नहीं थी तालिबान से आसन्न खतरे की जानकारी।
वाशिंगटन, रायटर। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच 23 जुलाई को आखिरी बार बातचीत हुई थी। 14 मिनट तक चली इस बातचीत में दोनों ने सैन्य सहायता, राजनीतिक रणनीति और संदेश रणनीति को लेकर चर्चा की।
बाइडन और गनी को नहीं थी तालिबान से आसन्न खतरे की जानकारी
इस बातचीत से ऐसा लगता है कि न तो बाइडन और न ही गनी को तालिबान से आसन्न खतरे की जानकारी थी और वो उससे निपटने के लिए तैयार थे, क्योंकि इसको लेकर दोनों के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई।
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर किया कब्जा और गनी भाग गए देश छोड़कर
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था और गनी देश छोड़कर भाग गए। इस चर्चा के दौरान बाइडन गनी के सामने यह प्रस्ताव रखते हैं कि अगर वह अफगानिस्तान के खराब होते हालात को नियंत्रण में करने की कोई योजना बनाते हैं तो वह सैन्य सहायता देने के लिए तैयार हैं। इन दोनों के बीच बातचीत से कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सेना ने अफगानी सेना के समर्थन में तालिबान के ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।
गनी के तीन लाख सैन्य बल तालिबान के 70 हजार की फौज का सामना नहीं कर सके
बाइडन अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री जनरल बिसमिल्ला खान मुहम्मदी को योजना बनाने और उसे लागू करने की छूट देने की बात कहते हैं। बाइडन यह भी कहते हैं कि गनी के पास तीन लाख सैन्य बल है, जिसे अमेरिका ने प्रशिक्षण देने के साथ ही वित्तीय मदद भी दी है। इनके सामने तालिबान के 70-80 हजार की फौज नहीं टिक पाएगी, लेकिन हुआ इसके उलट। तालिबान के सामने अफगानिस्तानी सेना ने बिना लड़े ही हथियार डाल दिए थे।