कोरोना संक्रमण को कम करने में सक्षम है बीसीजी का टीका, करीब छह हजार लोगों पर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने सार्स-कोव-2 वायरस (Sars-cove-2 Virus) के खिलाफ एंटीबॉडी के सुबूत के लिए सिडर-सिनाई हेल्थ सिस्टम में छह हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों के रक्त का परीक्षण किया और उनसे उनके इलाज और टीकाकरण के बारे में जाना है।
ह्यूस्टन, प्रेट्र। पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना के संक्रमण से जूझ रही है। ऐसे में एक अच्छी खबर यह है कि ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) रोकने के लिए लगाया जाने वाले बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) के टीके को कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने में मददगार होने का दावा किया गया है। यह दावा द जर्नल ऑफ क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन में किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी के सुबूत के लिए सिडर-सिनाई हेल्थ सिस्टम में छह हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों के रक्त का परीक्षण किया और उनसे उनके इलाज और टीकाकरण के बारे में जाना। गौरतलब है कि सार्स-कोव-2 वायरस ही कोरोना के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने पाया कि अध्ययन में शामिल जिन स्वस्थ्यकर्मियों को अतीत में बीसीजी का टीका लग चुका था, उनमें से लगभग 30 फीसद में कोरोना संक्रमित होने की आशंका काफी कम थी। यह भी पाया गया कि पिछले छह महीने के दौरान जिन लोगों ने कोरोना वायरस से प्रभावित होने की बात कही थी, उनमें भी ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या काफी कम थी। गौर करने वाली बात यह थी कि ये प्रभाव इससे संबंधित नहीं थे कि इन्हें मेनिंगोकोकल, न्यूमोकोकल या इन्फ्लूएंजा का टीका भी लगाया गया था।
अध्ययन में चला पता, इम्यून सिस्टम था काफी मजबूत
अध्ययन के सह-वरिष्ठ लेखक मोशे अर्दिति के अनुसार, बीसीजी समूह में सार्स-कोव-2 एंटीबॉडी स्तर कम होने के कारण स्पष्ट नहीं थे। अर्दिति के मुताबिक, ऐसा प्रतीत होता है कि बीसीजी-टीकाकृत व्यक्ति या तो कम बीमार होते हैं या फिर उनका इम्यून सिस्टम काफी मजबूत था, जिस कारण सार्स-कोव-2 वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उनके शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो चुकी थी।
अर्दिति ने कहा, हम अपने शोध में बीसीजी टीका का अध्ययन करने में अधिक रुचि रखते थे, क्योंकि यह लंबे समय से पता कि यह टीबी के अलावा अन्य बैक्टीरिया जनित और वायरस जनित बीमारियों से बचाने में काफी उपयोगी है। अर्दिति ने कहा कि दुनिया के सबसे पुराने टीकों में से एक बीसीजी के टीके की मदद से हम दुनिया की सबसे नई महामारी को हराने में सक्षम हो सकते हैं।
नए अध्ययन में यह भी पाया गया कि बीसीजी का टीका लेने वाले उन लोगों में भी एंटीबॉडी मिली जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों से पीड़ित थे। हालांकि, कई अध्ययनों में ऐसे लोगों के कोरोना प्रभावित होने की आशंका ज्यादा जताई जाती रही है।
अर्दिति का यह भी कहना है कि फिलहाल कोई भी यह नहीं मानता है कि बीसीजी का टीका कोरोना को मात देने में मददगार हो सकता है, लेकिन इस अध्ययन से यह साफ हो गया है कि कोरोना से लड़ाई में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है क्योंकि इसे आसानी से उपलब्ध कराया जा सकता है और साथ ही यह कई वर्षो से इस्तेमाल में होने के कारण विश्वसनीय भी है।