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भारत पर कार्रवाई के बारे में पूछे गए सवाल पर अमेरिकी राजनयिक ने कहा, काट्सा का उद्देश्य दोस्तों पर कार्रवाई करना नहीं

रूस से एस-400 की खरीद के चलते काट्सा के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य सहयोगियों और दोस्तों को दंडित करना नहीं है। हम किसी भी कीमत पर सहयोगी देश की संप्रभु रक्षा क्षमताओं को कमतर नहीं करना चाहते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 04:13 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 04:13 PM (IST)
राजनीतिक सैन्य मामलों के उप विदेश मंत्री आर क्लार्क कूपर की फाइल फोटो

वाशिंगटन, प्रेट्र। एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने कहा है कि सीएएटीएसए (CAATSA-Countering America Adversaries Through Sanctions Act) कानून का उद्देश्य दोस्तों और सहयोगियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करना नहीं है। रूस से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमेरिका इसी कानून के तहत प्रतिबंध लगाता है। कुछ दिन पहले वाशिंगटन ने अपने नाटो सहयोगी तुर्की पर इसी कानून के तहत कार्रवाई की थी।

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राजनीतिक सैन्य मामलों के उप विदेश मंत्री आर क्लार्क कूपर ने कहा कि काट्सा का उद्देश्य रूसी प्रभाव को कम करना है। वर्ष 2014 में यूक्रेन में मास्को के सैन्य हस्तक्षेप और वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने की कोशिशों के बाद यह तेल, गैस, रक्षा और वित्तीय संस्थानों में रूसी हितों पर प्रतिबंध से लगाने से जुड़ा है।

कानून का उद्देश्य सहयोगियों और दोस्तों को दंडित करना नहीं

रूस से एस-400 की खरीद के चलते काट्सा के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य सहयोगियों और दोस्तों को दंडित करना नहीं है। हम किसी भी कीमत पर सहयोगी देश की संप्रभु रक्षा क्षमताओं को कमतर नहीं करना चाहते हैं।

कूपर ने कहा कि काट्सा के तहत लगाए जाने वाले प्रतिबंध वैश्विक प्रकृति के हैं। यह ना तो किसी विशेष देश या क्षेत्र तक सीमित हैं और ना ही इनकी कोई समयसीमा है।

रूस के साथ पांच अरब डॉलर के रक्षा समझौते पर किए गए थे हस्ताक्षर

बता दें कि ट्रंप द्वारा कार्रवाई की धमकी के बावजूद अक्टूबर 2018 में भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पिछले वर्ष उसने सौदे की पहली किस्त के तौर पर 800 मिलियन डॉलर रूस को दे दिए हैं।


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