उइगरों की पहचान के लिए ड्रैगन की नई चाल, चीन की कंपनी ने तैयार किया नया सॉफ्टवेयर
चीन लगातार उइगर मुस्लिमों के साथ बुरा बर्ताव कर रहा है। इसको लेकर वो पूरी दुनिया के निशाने पर भी है। इसके बाद भी वो इससे बच नहीं रहा हे। अब उसकी कंपनी ने चेहरा पहचानने वाला एक सॉफ्टवेयर बनाया है।
वाशिंगटन (न्यूयॉर्क टाइम्स)। चीन अपने यहां पर रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर शिकंजा कसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। इस बार चीन ने इसमें अपनी कंपनी अलीबाबा की मदद ली है जिसने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो चेहरे की थ्रीडी इमेज बनाकर व्यक्ति की पहचान करता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अलीबाबा कंपनियों ने फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर के उपयोग का विकल्प देकर चीन की मंशा को पूरा करने का काम किया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की कंपनी अलीबाबा अब वहां पर रहने वाले उइगर मुस्लिमों से अलग व्यवहार करने लगी है। इसका इस्तेमाल चीन उइगुर मुसलमानों तक पहुंचने के लिए कर रहा है। चीन की सरकार और कंपनी इन लोगों के साथ विवादास्पद बर्ताव करने से भी नहीं चूक रही हैं। एनवाईटी की रिपोर्ट में कंपनी की वेबसाइट का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी की क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस में जाने से इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से न सिर्फ उइगरों बल्कि दूसरे अल्पसंख्यकों की तस्वीरों और वीडियो के जरिए पहचान की जा सकती है। इस बाबत अमेरिका की एक रिसर्च कंपनी आईपीवीएम अलीबाबा की वेबसाइट से उइगुर और विशेष जातीय अल्पसंख्यकों के बारे में दी गई पहचान को फिलहाल हटा दिया गया है। इस रिसर्च कंपनी ने अपनी इस रिपोर्ट को न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ साझा किया है।
न्यूज एजेंसी एएफपी ने इस बाबत अलीबाबा कंपनी से जानकारी लेनी चाहिए लेकिन कंपनी ने इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। एनवाईटी के मुताबिक अलीबाबा ने इस सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग के लिए एक यूजर को चुना था। इसके बाद फिर कभी इसके इस्तेमाल की पेशकश नहीं की गई। आईपीवीएम कंपनी ने ही इस बात की जानकारी दी थी कि चीन की कंपनी हुआवे एक फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है। ये सॉफ्टवेयर ऑटोमैटिक तरीके से उइगरों की पहचान कर सकेगा और इनकी जानकारी को पुलिस के साथ साझा भी कर सकेगा। हालांकि रिपोर्ट सामने आने के बाद हुआवे ने इस तरह के सॉफ्टवेयर को विकसित करने के आरोपों से साफ इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि चीन की सरकार काफी समय से अपने यहां पर रहने वाले उइगरों पर शिकंजा कड़ा कर रही है। बीते कुछ वर्षों में शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगुर मुसलमानों को जबरन कैंपों में रखने का आरोप लगा है, जिसको चीन की सरकार मनघंड़ंत बताती आई है। चीन की सरकार अपने इन कैंपों को सुधार केंद्र या रीएजुकेशन कैंप और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र बताती रही है। हालांकि पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यहां पर इन लोगों को जबरन ठूंसा गया है।
इन कार्यकर्ताओं के मुताबिक करीब दस लाख उइगर मुसलमानों को चीन ने इस तरह से बंधक बनाकर रखा हुआ है। आपको बता दें कि वर्ष 2018 में चीन ने इस प्रांत में मस्जिदों को भी तोड़ दिया था और कई उइगरों को जेलों में ठूंस दिया था। यहां पर इन लोगों के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए थे। आपको बता दें कि शिनजियांग उत्तर पश्चिमी चीन का एक सुदूर इलाका है जहां काफी संख्या में उइगर मुस्लिम रहते हैं।