अब ‘कृत्रिम पत्ती’ से तैयार होगी साफ गैस, वायु प्रदूषण पर लगेगी लगाम, ऐसे करेगी काम
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी ‘कृत्रिम पत्ती’ विकसित कर ली है जिसके जरिये ऐसी साफ गैस तैयार की जा सकती है जो भविष्य में पेट्रोल का विकल्प बन सकती है।
लंदन, प्रेट्र। दुनिया में आबादी बढ़ने के साथ वाहनों का प्रयोग भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे जीवाश्म ईंधन की खपत तेजी से हो रही है और प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसका विकल्प तलाशने का प्रयास कर रहे हैं। इस कड़ी में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, उन्होंने एक ऐसी ‘कृत्रिम पत्ती’ डिवाइस विकसित कर ली है, जिसके जरिये ऐसी साफ गैस तैयार की जा सकती है, जो वर्तमान में जीवाश्म ईंधन से ही बनाई जाती है। ऐसी गैस का वर्तमान में व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है।
बन सकती है पेट्रोल का विकल्प
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस गैस के जरिये ऐसा स्थाई तरल ईंधन तैयार किया जा सकता है जो भविष्य में पेट्रोल का विकल्प बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह डिवाइस सूरज की रोशनी से गैस तैयार करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह डिवाइस कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के जरिये बेहद आसान तरीके से साफ गैस तैयार कर सकती है। यह सौर ईंधन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रक्रिया से सिनगैस निकलती है। ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार इस डिवाइस के बारे में नेचर मैटेरियल्स नामक जर्नल में विस्तार से प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि यह ‘कृत्रिम पत्ती’ डिवाइस सूरज की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करती है। हालांकि, यह दिन में बादलों की मौजूदगी में भी काम करने में समक्ष है।
प्रदूषण होगा कम
वर्तमान में प्रयोग होने वाले ईंधन से निकलने वाली गैसें वातारण को प्रदूषित भी करती हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि उनकी डिवाइस से तैयार सिनगैस वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त नहीं करती है। इससे प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। इस गैस का प्रयोग कई चीजों जैसे ईंधन, दवाओं, प्लास्टिक और उर्वरक तैयार करने में किया जाता है। कैंब्रिज में प्रोफेसर इरविन रीसनर के मुताबिक, हो सकता है कि आपने सिनगैस के बारे में न सुना हो, लेकिन इसकी मदद से रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं का उपभोग अवश्य करते होंगे। हमने जो खोज की है उसके जरिये वैश्विक कार्बन चक्र को बंद किया जा सकता है। बकौल रीसनर, यह डिवाइस प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से प्रेरित है, जो एक कुदरती प्रक्रिया है। इसमें पेड़-पौधे सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर कार्बन डाइऑक्साइड से खाना बनाते हैं।
इस तरह करती है काम
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस कृत्रिम पत्ती में दो प्रकाश अवशोषक लगाए गए हैं, जो पौधों में मौजूद अणुओं के समान काम करते हैं। इसमें एक उत्प्रेरक का प्रयोग किया गया है। जब यह डिवाइस पानी में डाली जाती है तो इसका एक प्रकाश अवशोषक उत्प्रेरक का प्रयोग कर ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। वहीं, दूसरा अवशोषक रासायनिक क्रिया करता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस डिवाइस के प्रकाश अवशोषक कम रोशनी में भी कार्य करने में सक्षम है। इस अध्ययन के मुख्य लेखक व पीएचडी छात्र विर्जिल आंद्रेई के मुताबिक, इसका मतलब यह है कि इस डिवाइस का प्रयोग केवल उन देशों में नहीं होगा, जहां मौसम अमूमन गर्म रहता है और न ही इसका इस्तेमाल केवल गर्मी के मौसम तक सीमित रहेगा। इसे आप बादलों की मौजूदगी में और दुनिया के किसी भी देश में इस्तेमाल कर सकते हैं।