15 वर्ष की उम्र में हो गई थी मौत, अब वेटिकन से संत घोषित करने का है इंतजार
एक इतालवी किशोर की मां को इंतजार है कि कब उसके स्वर्गीय बेटे को वेटिकन से संत की उपाधि मिलेगी। इस प्रक्रिया के अब वो काफी करीब पहुंच चुका है। उसकी मां का कहना है कि पूरी दुनिया से उसके पास संदेश आए हैं।
वाशिंगटन (न्यूयॉक टाइम्स)। कई बार किस्मत इंसान को ऐसा झटका देती है कि जिसको कभी कोई नहीं भुला सकता है। कार्लो अकोटिस ऐसा ही एक नाम था। कार्लो को प्लेस्टेशन पर समय बिताना अच्छा लगता था। वो अपने डॉगी के साथ वीडियो बनाना पंसद था। सेलफोन, नाइकी और जींस उसकी पसंद में शुमार था। वो केवल 15 वर्ष का था जब ल्यूकेमिया से वर्ष 2006 में उसकी मौत हो गई थी। ये उस वक्त हुआ जब वो रोमन कैथोलिक चर्च में एक संत के रूप में पहचाने जाने वाले पहले सहस्राब्दी बनने के रास्ते पर था। वो मिलान में रहता था। उसको पोप ने अपना आशीर्वाद दिया था। शनिवार को एक समारोह के दौरान इटली के शहर असीसी में कार्लो को एक संत के तौर पर पहचान देने से पहले उसको याद किया गया और उसको चमत्कारी बताया गया। मौत के बाद कार्लो कैथोलिक समुदाय के केंद्र में था। उसको इंटरनेट के माध्यम से एक पहचान मिलने लगी थी। लोगों की इसमें आस्था बढ़ रही थी।
उसकी मां एंटोनियां अकोटिस ने एनवाईटी को फोन पर बताया कि कार्लो ने 9 साल की उम्र में कंप्यूटर साइंस के बारे में पढ़ना शुरू किया था। उसने इसमें खुद महारत हासिल की और ग्राफिक डिजाइनिंग तक की। अपनी मौत से करीब एक माह पहले ही उसने एक वेब साइट तैयार की थी कि जो चमत्कारों के बारे में थी। एंटोनियो का कहना है कि इंटरनेट का इस्तेमाल भलाई के लिए भी किया जा सकता है। इससे लोगों की मदद की जा सकती है। कार्लो इस इंटरनेट की डार्क साइड में खड़े हुए सवालों का एक बेहतर जवाब था। एंटोनियो कार्लो को भगवान के लिए प्रभावित करने वाला व्यक्ति मानती हैं।
कार्लो के निधन के बाद डियोसेस ऑफ असीसी, उसके परिवार के दूसरे घर से वेटिकन में कार्लो को संत की मान्यता देने की अपील की गई। इसकी प्रक्रिया के तहत उसके कंप्यूटर और ईमेल को देखा गया। उसके कंप्यूटर की हिस्ट्री और उसके इंटरव्यू को भी देखा गया। अब परिवार को उस पल का इंतजार है जब उसको संत की मान्यता मिलेगी। एंटोनियो का कहना है कि दुनिया भर के लोगों ने उसको कार्लो के चमत्कारिक इलाज के बारे में बताया है। इतना ही नहीं उसने लोगों को जानलेवा केंसर से उबारा और सूनी गोद को बच्चों की किलकारी से भरा है। फरवरी में पोप फ्रांसिस ने भी कार्लो का जिक्र किया था। अभी कार्लो को संत की मान्यता दिया जाना बाकी है और इसकी प्रक्रिया भी अभी पूरी नहीं हुई है। इसके लिए अभी एक समारोह का होना बाकी है।