पेरिस समझौते से अलग हुआ अमेरिका, बाइडन ने कहा- यदि मैं राष्ट्रपति बना तो पलट देंगे ट्रंप का फैसला
निवेश करने वाले अमेरिकी और यूरोपीय उद्योगपतियों व संस्थाओं ने अमेरिका से फिर से इस समझौते में शामिल होने का अनुरोध किया है। अगर अमेरिका ने ऐसा नहीं किया तो वह दुनिया की लो कार्बन इकॉनोमी में पिछड़ जाएगा।
वाशिंगटन, रायटर। पर्यावरण सुधार के लिए हुए पेरिस समझौते से अमेरिका बुधवार को औपचारिक रूप से अलग हो गया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस बाबत की गई घोषणा को पूरा करने वाली आवश्यक समयसीमा और प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो गई। हालांकि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि अगर वह चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने तो इस समझौते में अमेरिका को पुन: शामिल करेंगे।
पृथ्वी के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए समझौते पर 197 देशों ने दस्तखत किए थे
सन 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सक्रिय प्रयास के चलते यह समझौता हुआ था। विकासशील देशों को समझौते पर दस्तखत के लिए तैयार करने में भारत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पृथ्वी के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए प्रयास करने के इस समझौते पर कुल 197 देशों ने दस्तखत किए थे।
ट्रंप ने जून 2017 में पेरिस समझौते से अलग होने की मंशा जाहिर की थी
अमेरिका अकेला देश है जिसके राष्ट्रपति ट्रंप ने जून 2017 में इस समझौते से अलग होने की मंशा जाहिर की थी। कहा था कि इस समझौते में शामिल होने के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। चार नवंबर, 2019 को अमेरिका ने इस समझौते से अलग होने का नोटिस संयुक्त राष्ट्र में दाखिल कर दिया। अलग होने के लिए आवश्यक एक साल की समयसीमा पूरी होने पर बुधवार को अमेरिका समझौते से अलग हो गया।
अमेरिका के अलग होने से यूएनएफसीसीसी अपने लक्ष्यों से पीछे नहीं हटेगा: पैट्रीसिया
यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) की सचिव पैट्रीसिया एस्पिनोसा ने कहा है कि अमेरिका के अलग होने से हमारी कोशिश में कमजोरी आएगी, लेकिन हम अपने लक्ष्यों से पीछे नहीं हटेंगे और उनके प्राप्त होने तक प्रयास जारी रखेंगे।
यदि अमेरिका पेरिस समझौते में दोबारा शामिल होता है तो यूएनएफसीसीसी सहयोग करेगा
अगर अमेरिका समझौते में शामिल होने का दोबारा प्रयास करता है तो हम उसका पूरा सहयोग करेंगे। इस समझौते के समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने प्रदूषण कम करने के एवज में जरूरतमंद देशों को तीन अरब डॉलर की मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन वह पूरा नहीं हो सका। निर्धारित राशि में से महज एक अरब डॉलर दिए जा सके।
उद्योगपतियों ने अमेरिका को फिर से पेरिस समझौते में शामिल होने का किया अनुरोध
2016 में राष्ट्रपति बने ट्रंप ने बकाया राशि न देते हुए समझौते से ही हटने की घोषणा कर दी। इधर 30 ट्रिलियन डॉलर (22.3 करोड़, करोड़ रुपये) निवेश करने वाले अमेरिकी और यूरोपीय उद्योगपतियों व संस्थाओं ने अमेरिका से फिर से इस समझौते में शामिल होने का अनुरोध किया है। अगर अमेरिका ने ऐसा नहीं किया तो वह दुनिया की लो कार्बन इकॉनोमी में पिछड़ जाएगा और निवेशकों को भारी नुकसान होगा।