बापू के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करेगा अमेरिका, साथ में किंग जूनियर की विरासत को भी संजोया जाएगा
भारतीय-अमेरिकी सांसद अमी बेरा द्वारा अनुमोदित गांधी-किंग एक्सचेंज एक्ट को सदन की विदेश मामलों की समिति ने हरी झंडी दे दी।
वाशिंगटन, प्रेट्र। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और महान अश्वेत नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर की विरासत के प्रचार से जुड़े बिल को अमेरिकी कांग्रेस की एक प्रमुख समिति ने पारित कर दिया है। यह बिल नागरिक अधिकारों के मशहूर पैरोकार जॉन लेविस ने लिखा था, जिनका इसी साल 17 जुलाई को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो चुका है।
भारतीय-अमेरिकी सांसद अमी बेरा द्वारा अनुमोदित 'गांधी-किंग एक्सचेंज एक्ट' को सदन की विदेश मामलों की समिति ने हरी झंडी दे दी। इस विधेयक में महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर के कामों व विरासतों के अध्ययन के लिए अमेरिका और भारत के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान की पहल की गई है। इस विधेयक से अमेरिका के विदेश विभाग को भारत सरकार के सहयोग से दोनों देशों के शोधार्थियों के लिए वार्षिक शैक्षणिक मंच बनाने का अधिकार मिल जाएगा। यह मंच दोनों महान विभूतियों की विरासत पर केंद्रित होगा।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आया था
दिल्लीकिंग जूनियर की भारत यात्रा की 50वीं वर्षगांठ पर 2009 में सांसद जॉन लेविस के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आया था। इसी यात्रा से प्रेरित होकर लेविस ने संघर्ष के समाधान की कोशिशों के संदर्भ में गांधी व किंग के सिद्धांतों को लागू करने के मकसद से यह विधेयक लिखा था।
अपनी मां से प्रेरित था महात्मा गांधी का जीवन
बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। ब्रिटिश हुकूमत में इनके पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे। महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और यह अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। गांधी जी का सीधा-सरल जीवन इनकी मां से प्रेरित था। गांधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके कारण वह सत्य और अहिंसा में अटूट विश्वास करते थे और आजीवन उसका अनुसरण भी किया।