Origin of Coronavirus : चीन से नहीं मिला सहयोग, अमेरिका भी न जान सका कोरोना की उत्पत्ति का कारण
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पर इस मामले में ज्यादा जानकारी देने के लिए दबाव बनाने की कोशिशें नौकरशाही में उलझ कर रह गई। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने जो जानकारियां जुटाई हैं उनका ज्यादातर हिस्सा गोपनीय रहेगा।
वाशिंगटन, आइएएनएस। दुनिया में अब तक 40 लाख से अधिक लोगों की जान लेने वाली कोरोना महामारी की उत्पत्ति प्राकृतिक कारणों से हुई या किसी लैब से इसका वायरस लीक हुआ यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। चीन की सरकार से अपेक्षित सहयोग न मिलने और आंकड़े देने में आनाकानी से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी लंबी जांच-पड़ताल के बाद भी किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर की गई जांच की रिपोर्ट मंगलवार को व्हाइट हाउस को सौंप दी गई। सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में बहुत दम नहीं है। वहीं चीन ने इस मामले पर अमेरिका पर उसे बलि का बकरा बनाने का आरोप जड़ दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा कोरोना की उत्पत्ति को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट में ऐसा कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकला कि क्या कोरोना वायरस स्वाभाविक रूप से मनुष्यों में आया या किसी लैब में रिसाव का परिणाम था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई में देश की खुफिया एजेंसियों को अपने प्रयास दोगुने कर 90 दिन में महामारी की उत्पत्ति की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।
चीन से नहीं मिली विस्तृत जानकारी
मंगलवार को व्हाइट हाउस को मिली रिपोर्ट में चीन से अधिक जानकारी मिलने में सामने आई चुनौतियों का जिक्र तो है लेकिन महामारी के ठोस कारणों पर रोशनी नहीं डाली गई। वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक चीन से विस्तृत जानकारी की कमी ने जांच को प्रभावित किया है। दो वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों को उद्धृत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने लैब रिकार्ड, जीनोमिक नमूने और अन्य डाटा साझा करने में अपेक्षित सहयोग नहीं किया। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीन जब तक कुछ जरूरी डाटा नहीं देता तब तक कोरोना के वास्तविक कारणों का कभी पता नहीं चलेगा।
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पर इस मामले में ज्यादा जानकारी देने के लिए दबाव बनाने की कोशिशें नौकरशाही में उलझ कर रह गई। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने जो जानकारियां जुटाई हैं उनका ज्यादातर हिस्सा गोपनीय रहेगा। लेकिन व्हाइट हाउस के प्रेस सीक्रेट्री जेन पेस्की ने बताया कि इस रिपोर्ट का एक हिस्सा इसी हफ्ते जारी किया जा सकता है।
चीन ने जांच का प्रस्ताव किया खारिज
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और चीन द्वारा की गई संयुक्त जांच के जो निष्कर्ष मार्च में जारी किए गए थे उनमें इस संभावना को खारिज कर दिया गया था कि कोरोना वायरस दुर्घटनावश लैब की गलती से फैला था।
हालांकि अपनी पूर्व की रिपोर्ट की अहमियत को कम करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रयेसस ने पिछले महीने वुहान में दूसरे चरण का शोध करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन चीन ने डब्ल्यूएचओ पर अड़ियल रुख अपनाने और सामान्य समझ का अनादर करने का आरोप लगाते हुए जांच के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जबकि अमेरिका की नेशनल लैब ने कोरोना की उत्पत्ति पर 2020 की अपनी एक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला था कि वायरस चीन की वुहान स्थित लैब से लीक हुआ था। वहीं यूएस हाउस आफ रिपब्लिकन की हालिया जांच से भी यह पता चला कि कोरोना महामारी आनुवंशिक रूप से संशोधित वायरस से पनपी जो वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी से लीक हुआ।
भड़का चीन, खुद को बलि का बकरा बनाने की बात कही
रायटर के मुताबिक, कोरोना की उत्पत्ति को लेकर अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार रिपोर्ट पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। चीन ने अमेरिका पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए खुद को बलि का बकरा बनाए जाने की बात कही है।
चीनी विदेश मंत्रालय के शस्त्र नियंत्रण विभाग के महानिदेशक फू कांग ने कहा कि इस मामले में चीन को बलि का बकरा बनाने से अमेरिका पाक-साफ साबित नहीं हो जाएगा।
उल्लेखनीय है चीन, लैब से कोरोना वायरस के रिसाव के सिद्धांत की खिल्ली उड़ा चुका है। चीन यहां तक कह चुका है कि यह वायरस मैरीलैंड की फोर्ट डेट्रिक लैब से लीक हो सकता है। फू ने कहा कि अमेरिका को यह बात जोर देकर कहनी होगी कि यह एक है परिकल्पना है। उन्हें भी अपनी लैब की जांच के लिए दुनिया के दूसरे देशों को आमंत्रित करना चाहिए।