Move to Jagran APP

बच्चों के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, Schizophrenia का सबसे ज्यादा खतरा

वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की चपेट में आने वालों बच्चों में सिजोफ्रेनिया के बढ़ने का खतरा अधिक होता है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 05:50 PM (IST)
बच्चों के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, Schizophrenia का सबसे ज्यादा खतरा
बच्चों के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, Schizophrenia का सबसे ज्यादा खतरा

वाशिंगटन, प्रेट्र। वायु प्रदूषण हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह तो अभी तक सभी का मालूम था। अब शोधकर्ताओं के हालिया अध्ययन से पता चला है कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की चपेट में आने वालों बच्चों में सिजोफ्रेनिया के बढ़ने का खतरा अधिक होता है। सिजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक बीमारी है, जो किसी व्यक्ति की सोचने-समझने, एहसास करने और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

loksabha election banner

पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रदूषण संबंधी आंकड़े और आइपीएसवाइसीएच के आनुवंशिक आंकड़ों के संयुक्त अध्ययन से पता चलता है कि प्रदूषण का स्तर जितना अधिक होता है, सिजोफ्रेनिया का खतरा भी उतना ही अधिक होता है।

वायु प्रदूषण के घनत्व में रोजाना 10 मिली्रग्राम प्रति घन मीटर की बढ़ोतरी से सिजोफ्रेनिया का खतरा लगभग 20 फीसदी तक बढ़ जाता है। इस अध्ययन के वरिष्ठ शोधकर्ता हेनरिते थिस्तेद हॉर्सदल ने बताया, 'वैसे बच्चे जो रोजाना लगभग 25 मिलीग्राम प्रति घनमीटर से अधिक वायु प्रदूषण वाले पर्यावरण में रहते हैं, उनमें सिजोफ्रेनिया होने की आशंका 60 फीसदी तक अधिक होती है।'

यह अध्ययन जेएएमए नेटवर्क ओपन साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने इन आंकड़ों के आधार पर बताया कि किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में सिजोफ्रेनिया होने की आशंका लगभग दो फीसदी होती है। इसका मतलब है कि हर 100 में से दो में इसके होने की गुंजाइश बनी रहती है। वायु प्रदूषण के निम्नतम स्तर की चपेट में आने वालों में सिजोफ्रेनिया का खतरा दो फीसदी तक होता है, जबकि प्रदूषण के उच्चतम स्तर की चपेट में आने वालों में यह आंकड़ा लगभग तीन फीसदी तक हो जाता है। यह अपनी तरह का पहला शोध है, जब वायु प्रदूषण और आनुवंशिक संबंधों का संयुक्त अध्ययन कर सिजोफ्रेनिया के खतरों का पता लगाया गया है। शोधकर्ता हेनरिते बताते हैं, 'अगर आपमें आनुवंशिक रूप से बीमारियों के होने की संभावना अधिक है, तो सिजोफ्रेनिया का खतरा भी अधिक होता है।'

23 हजार से अधिक पर अध्ययन

यह अध्ययन कुल 23,355 लोगों पर किया गया, जिसमें 3,531 में सिजोफ्रेनिया की समस्या थी। हालांकि, नतीजों से यह सामने आया कि बचपन में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की चपेट में आने वाले बच्चों में सिजोफ्रेनिया का खतरा अधिक था। लेकिन, शोधकर्ताओं ने इसकी वजहों पर कोई टिप्पणी नहीं की। इसके बजाय उन्होंने इन वजहों का पता लगाने के लिए आगे और अधिक शोध पर जोर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.