अमेरिका ने रचा इतिहास, वायु सेना में पहली बार मुख्य मास्टर सार्जेंट के रूप में किसी महिला का चयन
अमेरिकी वायु सेना के इतिहास में पहली बार किसी महिला को एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं वह अमेरिकी सैन्य सेवा का नेतृत्व करने वाला पहली अफ्रीकी अमेरिकी होंगी।
वाशिंगटन एजेंसी। शुक्रवार को शक्तिशाली अमेरिकी वायु सेना की मुख्य मास्टर सार्जेंट के रूप में जोएन एस बास को सूचीबद्ध किया गया है। अमेरिकी वायु सेना के इतिहास में पहली बार किसी महिला को एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं, वह अमेरिकी सैन्य सेवा का नेतृत्व करने वाला पहली अफ्रीकी अमेरिकी होंगी। एस बास कर्मियों के कल्याण संबंधी मामलों पर ब्राउन और वायु सेना सचिव बारबरा बैरेट की वरिष्ठ एन्लिस्टिड सलाहकार होंगी। अमेरिका की हवाई की रहने वाली बास मिसिसिपी में कीस्लर वायु सेना अड्डे पर कमांड चीफ मास्टर सार्जेंट के रूप में सेवाएं दे रही हैं। वह 1993 में वायुसेना में भर्ती हुई थी।
चार्ल्स क्यू. ब्राउन की वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ
इससे करीब दो सप्ताह पहले सीनेट ने जनरल चार्ल्स क्यू. ब्राउन की वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ पद पर नियुक्ति की पुष्टि की थी। ब्राउन अमेरिका की किसी सैन्य सेवा का नेतृत्व करने वाले पहले अश्वेत अधिकारी बन गए हैं। वह अगस्त में कार्यभाल संभालेंगे। अमेरिका सेना में वरिष्ठ पदों पर अपेक्षाकृत बहुत कम महिलाओं को पदोन्नत किया जाता है। अभी तक किसी भी महिला को किसी सैन्य सेवा के चीफ के रूप में सेवाएं देने का मौका नहीं दिया गया है और न ही किसी महिला ने ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के सदस्य के तौर पर सेवाएं दी है।
फ्लॉयड की मौत के बाद भावुक हुए जनरल ब्राउन
दोनों नियुक्तियां ऐसे समय हुई है जब अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद अमेरिका में अश्वेतों के समर्थन में कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्लॉयड की मौत अमेरिका में अश्वेतों को समान हक देने की मांग उठ रही है। वायुसेना प्रमुख के लिए नाम तय होने पर जनरल ब्राउन ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि मैं भावुक हूं। मैं कई ऐसे अफ्रीकी अमेरिकियों के बारे में सोच रहा हूं, जिन्हें जॉर्ज फ्लॉयड जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। मैं नस्लभेदी मुद्दों से जुड़े इतिहास और अपने अनुभवों के बारे में सोच रहा हूं। वायुसेना प्रमुख के तौर पर मुझे नामित किए जाने पर मुझे कुछ उम्मीद नजर आ रही है। हालांकि, यह एक बड़ा बोझ भी होगा। मैं अपने पेशेवर रवैये से नस्लीय भेदभाव खत्म करने की कोशिश करूंगा।