स्ट्रोक के खतरे का सटीक आकलन कर सकता है एआइ, पढ़ें शोध में सामने आई बड़ी बातें
शोधार्थियों द्वारा विकसित इस तकनीक के इस्तेमाल से डॉक्टरों को रोगियों में रक्त संचार बढ़ाकर इलाज करने में मदद मिल सकती है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। शोधकर्ताओं ने पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के इस्तेमाल से दिल के रोगियों में रक्त संचार को सटीक तरीके से मापने में सफलता पाई है। इसके जरिये रोगियों में दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक के खतरे की आशंका का सटीक आंकलन किया जा सकता है।
यूसीएल तथा बार्ट्स हेल्थ एनएचएस ट्रस्ट के शोधार्थियों द्वारा विकसित इस तकनीक के इस्तेमाल से डॉक्टरों को रोगियों में रक्त संचार बढ़ाकर इलाज करने में मदद मिल सकती है। दिल के मरीजों में कम रक्त संचार एक सामान्य लक्षण है, जिसका इलाज संभव है। ऐसे में रक्त संचार का आकलन और उसे बढ़ाने के उपाय करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि इसके लिए अपनाई जाने वाली कुछ प्रक्रिया जोखिम से भरपूर होती हैं। कार्डियोवैस्कुलर मैग्नेटिक रेजोनेंस (सीएमआर) जैसे इमेजिंग तरीके भी मौजूद हैं, लेकिन अब तक के इन उपायों से स्कैन इमेज का सटीक विश्लेषण कठिन होता है।
शोधकर्ताओं ने सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल तथा रॉयल फ्री अस्पताल के एक हजार रोगियों की जांच में नए ऑटोमैटेड एआइ के इस्तेमाल से रक्त संचार के आंकड़े तत्काल हासिल कर रोगियों का इलाज किया। यह तरीका पारंपरिक इलाज से बेहतर है। -एएनआइ
अति सूक्ष्म कण से भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा
शोधकर्ताओं के मुताबिक वायु प्रदूषण में मौजूद अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स (अति सूक्ष्म प्रदूषक कण) के संपर्क में कुछ घंटे रहने से भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है। अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स (यूएफपी) आकार में 100 नैनोमीटर या इससे भी छोटे होते हैं। शहरी इलाकों में यूएफपी के प्राथमिक स्त्रोत वाहनों से निकलने वाला धुंआ है।
शोधकर्ताओं ने यूएफपी का दिल के दौरे पर पड़ने वाले असर को परखने के लिए विभिन्न आकार के कणों की सांद्रता का बारी-बारी से अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि वायु प्रदूषक छोटे कणों की हृदय रोग में गंभीर भूमिका होती है। यह पहले कुछ घंटे में ज्यादा होती है। इनमें कोशिकाओं को भेदने और रक्त संचार तंत्र में मिल जाने की क्षमता होती है। -आइएएनएस