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देरी के बाद रवानगी के लिए तैयार नासा का यान, एलियन्स के अस्तित्व का पता लगाना है मिशन

ट्रांसिसटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सेटेलाइट (टेस) के प्रमुख ने कहा, हमें उम्मीद है कि जीवन की संभावना वाले अनेक बाहरी ग्रहों की खोज के अपने अभियान में हम कामयाब रहेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 18 Apr 2018 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 18 Apr 2018 11:18 AM (IST)
देरी के बाद रवानगी के लिए तैयार नासा का यान, एलियन्स के अस्तित्व का पता लगाना है मिशन
देरी के बाद रवानगी के लिए तैयार नासा का यान, एलियन्स के अस्तित्व का पता लगाना है मिशन

वाशिंगटन [प्रेट्र]। नासा के नए ग्रह-खोजी यान का प्रक्षेपण अब 18 अप्रैल को होगा। ट्रांसिसटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सेटेलाइट (टेस) नामक यान को फ्लोरिडा में केप केनेवरल एयरफोर्स स्टेशन के स्पेस लांच कांप्लेक्स 40 से प्रक्षेपित किया जाना था। नासा ने एक ट्वीट में बताया कि यान के प्रक्षेपण के लिए तैनात टीमें यान के संचालन और नियंत्रण से संबंधित कुछ अतिरिक्त परीक्षण कर रही हैं।

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नासा के मुताबिक यान एकदम ठीक है और प्रक्षेपण के लिए तैयार है। टेस का उद्देश्य उन ग्रहों को खोजना है, जहां जीवन होने की संभावना है। यह कुल मिलाकर एलियन जीवन खोजने के लिए वैज्ञानिकों का नया अभियान है, जिस पर सभी की निगाहें रहेंगी। नासा के इस यान का वास्तविक अभियान करीब दो महीने के बाद आरंभ होगा।

टेस के प्रमुख जांचकर्ता जार्ज रिकर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि टेस जीवन की संभावना वाले अनेक बाहरी ग्रहों का पता लगाएगा। भविष्य में भेजे जाने वाले मिशन इन ग्रहों के वायुमंडल की संरचना का अध्ययन करके वहां जीवन के संकेत खोज सकते हैं। यह यान चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण की मदद से पृथ्वी के इर्द-गिर्द 13.7 दिन की कक्षा में स्थापित हो जाएगा।

यह उपग्रह अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के इंजीनियरों ने विकसित किया है। इसका मकसद हमारे सौरमंडल के आसपास हजारों बाहरी ग्रहों को खोजना है, जिनमें से कम से कम 50 ग्रहों का आकार पृथ्वी जितना है। इस अंतरिक्ष यान का आकार एक रेफ्रिजरेटर से बड़ा नहीं है। इसमें चार कैमरे लगे हुए हैं जो आसमान में निकटस्थ चमकीले तारों का सर्वे करके उनका चक्कर काटने वाले ग्रहों के चिह्न खोजेंगे।

टेस यान समूचे आसमान को स्कैन करने में दो साल लगाएगा। उसके पर्यवेक्षण की परिधि में दो करोड़ से अधिक तारे आ सकते हैं। पर्यवेक्षण के पहले वर्ष में दक्षिणी आसमान के 13 सेक्टरों की स्कैनिंग की जाएगी। दूसरे वर्ष में उत्तरी आसमान के 13 सेक्टरों की स्कैनिंग की जाएगी। यह अंतरिक्षयान तारों की चमक में होने वाले परिवर्तनों को नोट करेगा।

जब कोई किसी तारे के सामने से गुजरता है तो उसकी चमक कम होने लगती है। वैज्ञानिक तारों की चमक में नियमित परिवर्तन के आधार पर उनके इर्द-गिर्द ग्रहों की मौजूदगी का अनुमान लगाते हैं। एमआइटी की टेस साइंस टीम कम से कम 50 छोटे ग्रहों के द्रव्यमान की नापजोख करेगी जिनके अर्धव्यास पृथ्वी के आकार के चार गुना से कम हैं।

टेस द्वारा पृथ्वी जैसे ग्रहों की पहचान किए जाने के बाद वैज्ञानिक अपनी दूरबीनें उनकी तरफ लक्षित करने के बाद उनके वायुमंडलों का पता लगा सकते हैं और जीवन के चिह्न खोज सकते हैं। टेस से जुड़ी एक वैज्ञानिक नटालिया गुएरेरो का कहना है कि टेस यान एक स्काउट की तरह है। एक तरह से हम समस्त आसमान का टूर करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या जीवन वाले अन्य ग्रह भी हैं? अभी हम यह नहीं जानते कि रास्ते में हमें कौन-कौन मिलेगा। यह टूर रास्ते में मिलने वाले खजानों का नक्शा बनाने जैसा होगा।  


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