ट्रंप के खिलाफ बगावती लेख के लेखक की पहचान पर लगा सट्टा, जानिए किस पर कितने का दांव
लेख में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसे तरीके से काम कर रहे हैं जो अमेरिकी गणतंत्र के लिए हानिकारक और खतरनाक है।
वांशिग्टन [ जागरण स्पेशल ]। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ छपे आर्टिकल को लेकर ट्रंप काफी नाराज हुए। यह आर्टिकल बुधवार को लिखा गया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी के बाद आर्टिकल लिखने वाले वरिष्ठ अधिकारी की पहचान को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। जिसके बाद अमेरिकी सट्टेबाजों ने उस अधिकारी के नाम को लेकर सट्टेबाजी शुरू कर दी है। मौजूदा समय में सट्टेबाजों ने उस अधिकारी पर दांव लगाना शुरू कर दिया है। सट्टेबाजों की इस बोली में अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस पर सबसे ज्यादा संदेह जताया जा रहा है, हालांकि, विदेश मंत्री माइक पोंपियो भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
अमेरिका की एक सट्टा खेलने वाली वेबसाइट माईबुकी के जीएम जैक स्लेटर ने अनुमान लगाते हुए बताया है कि अमेरिका की राजनीति में जल्दी ही बड़ा बदलाव दिखाई देने वाला है, जिसके लिए अमेरिकी सट्टेबाज तैयार बैठे हैं। जैक स्लेटर की वेबसाइट ने न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे लेख के लेखक की पहचान के लिए 100 डॉलर की कीमत रखी है। जीतने वाले को इसकी दोगुनी रकम दी जाएगी। अब तक 5 हजार डॉलर (3.60 लाख रुपए) का सट्टा लगाया जा चुका है। आपको बता दें कि यहां पर सबसे ज्यादा दांव उपराष्ट्रपति माइक पेंस पर लगाया जा रहा है। जैक ने बताया कि, विदेश मंत्री माइक पोंपियो और शिक्षा मंत्री बेट्से डेवॉस अभीतक दूसरे नंबर पर बने हुए हैं। वित्त सचिव स्टीवन मनुचिन और सेनाध्यक्ष जॉन केली को सट्टेबाजों ने तीसरे स्थान पर रखा है।
अच्छा नहीं रहा ट्रंप का अबतक का सफर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यूं तो व्हाइट हाउस का सफर बहुत अच्छा नहीं जा रहा, लेकिन अब लगता है कि उनके अधिकारी भी उनके खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द न्यूयॉर्क टाइम्स में अपने नाम को गुप्त रखकर एक लेख लिखा है। इस लेख में लिखा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसे तरीके से काम कर रहे हैं जो ‘हमारे गणतंत्र के लिए हानिकारक है। डोनाल्ड ट्रंप ने इस लेख और लेखक को ‘देशद्रोह’ और ‘कायरतापूर्ण’ बताया है।
ये है पूरा मामला
दरअसल, 5 सितंबर, 2018 को न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने ‘ओप-ऐड’ पेज पर एक आर्टिकल छापा है। इसमें लिखने वाले का नाम गायब था। अखबार ने कहा, ये आर्टिकल ट्रंप प्रशासन में शामिल किसी सीनियर अधिकारी ने लिखकर भेजा है। लेख में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसे तरीके से काम कर रहे हैं जो अमेरिकी गणतंत्र के लिए हानिकारक और खतरनाक है। ‘आई एम पार्ट आॅफ द रेसिस्टेंस इनसाइड द ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन’ नामक लेख में अधिकारी ने कहा कि उन्होंने और उनकी जैसी सोच के सहर्किमयों ने राष्ट्रपति के एजेंडा और उनके खराब रुझानों को रोकने का आह्वान किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे देशद्रोह और कायरतापूर्ण बताया।
लेखक का कहना है कि ये कोशिशें तब तक चलेंगी, जब तक कि ट्रंप राष्ट्रपति ऑफिस से बाहर नहीं चले जाते। अखबार का कहना है कि अगर आर्टिकल लिखने वाले का नाम बता दिया जाए, तो उसकी नौकरी चली जाएगी। इसी वजह से उसकी पहचान छुपाई गई है।
आखिर क्या है इस लेख में
1- अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप की जैसी परीक्षा हो रही है, वैसी फिलहाल यहां किसी अमेरिकी नेता की नहीं हुई है। ट्रंप के नेतृत्व में देश बुरी तरह से बंट गया है। शायद ट्रंप को खुद भी इस बात का एहसास नहीं है कि उनके अपने ही प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी ट्रंप के अजेंडा को नाकाम करने में जुटे हैं। इसके लिए विरोधी योजनाओं को नाकाम करने में पूरे लगन, पूरी तत्परता से लगे हुए हैं। मैं ये जानता हूं, क्योंकि मैं खुद भी उनमें से ही एक हूं।
2- हमारा मानना है कि हमारी पहली जिम्मेदारी इस देश के प्रति है। राष्ट्रपति ट्रंप लगातार ऐसे काम कर रहे हैं, जो कि हमारे लोकतंत्र के लिए बुरा है। यही वजह है कि ट्रंप के ही हाथों नियुक्त हुए कई लोगों ने ये कसम खाई है कि हम अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं को बचाने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। साथ ही, हम ट्रंप के गलत कामों को भी रोकने की तब तक कोशिश करते रहेंगे, जब तक कि वो राष्ट्रपति के दफ्तर से चले नहीं जाते।
3- भले ही वो रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर चुने गए हों, लेकिन ‘फ्री-माइंड, फ्री-मार्केट, फ्री-पीपल’ जैसे आदर्शों के लिए उन्होंने कभी कोई लगाव नहीं दिखाया। उन्होंने प्रेस और मीडिया को ‘अवाम का दुश्मन’ कहकर प्रचारित किया। साथ ही, उनकी हरकतें व्यापार और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी खिलाफ रही हैं।
4- आप मुझे गलत मत समझिएगा। कुछ बहुत अच्छी चीजें भी हुई हैं. जैसे- डिरेग्युलेशन, टैक्स सुधार। पहले से ज्यादा मजबूत सेना। और भी बहुत कुछ। लेकिन ये सारी चीजें राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व की वजह से नहीं हुई हैं। उनकी लीडरशिप में तो विवेक ही नहीं है, वो विरोधाभासी और बेअसर है।
5- वाइट हाउस से लेकर ऐक्जिक्यूटिव ब्रांच डिपार्टमेंट्स, एजेंसियां और सीनियर अधिकारी, सब अकेले में आपसे कहेंगे कि उन्हें ट्रंप की बातों और हरकतों पर कितना ताज्जुब होता है। इनमें से ज्यादातर लोग अपने काम को ट्रंप की सनक से बचाकर रखने में लगे रहते हैं। मीटिंग्स के दौरान वो मुद्दे से अलग हट जाते हैं। यू टर्न लेते हैं। बार-बार डींगें हांकते रहते हैं। उनका इस आवेग का नतीजा अधपके, अधकचरा जानकारी वाले और लापरवाह फैसलों की शक्ल में सामने आता है। ऐसे फैसलों को या तो वापस लेना पड़ता है या फिर उनसे दूरी बनानी पड़ती है।
6- हाल ही में एक शीर्ष अफसर ने मुझसे कहा- कोई नहीं बता सकता कि वो अगले ही पल अपना दिमाग बदल लेंगे कि नहीं। अभी ये कह रहे हैं, अगले ही मिनट कुछ और कहने लगेंगे। राष्ट्रपति के कुछ सहयोगियों को मीडिया ने खलनायक की तरह पेश किया गया। मगर निजी तौर पर उन लोगों ने ट्रंप के बुरे फैसलों को रोकने, उन्हें लागू न होने देने के लिए काफी मेहनत की है।
7- इसका नतीजा है- टू ट्रैक प्रेजिडेंसी- यानी दो स्तरों पर चल रही प्रेजिंडेंसी। मिसाल के तौर पर आप विदेश नीति को लीजिए, निजी और सार्वजनिक, दोनों जगहों पर राष्ट्रपति ट्रंप ने तानाशाहों और निरंकुश शासकों को तवज्जो दी है। जैसे- रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन, ट्रंप अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ संबंधों को, हम जैसी सोच रखने वाले मुल्कों को ज्यादा तरजीह नहीं देते।
8- अगर आप ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि ट्रंप के अलावा उनका प्रशासन एक अलग ही रास्ते पर चल रहा है। जैसे- राष्ट्रपति चुनावों में दखलंदाजी करने वाले रूस को सजा दी गई। ब्रिटेन में रूस के पूर्व जासूस पर हुए नर्व एजेंट अटैक की सजा के तौर पर पुतिन के कई जासूसों (राजनयिकों) को निलंबित करने से ट्रंप हिचक रहे थे। मगर अमेरिका ने ऐसा किया। ट्रंप कई हफ्तों तक शिकायत करते रहे कि सीनियर स्टाफ मेंबर्स उन्हें रूस के साथ तनाव बढ़ाने की तरफ धकेल रहे हैं। उन्हें उनकी मर्जी नहीं चलाने दे रहे हैं। ट्रंप भले कुछ भी चाह रहे हों, लेकिन उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को पता था. कि रूस के खिलाफ कार्रवाई करनी जरूरी है।
9- ट्रंप जिस तरह का अस्थिर बर्ताव करते हैं, उनके होने की वजह से जिस तरह की अस्थिरता आई है, उसको मद्देनजर रखते हुए कैबिनेट के अंदर के ही कई लोग गुपचुप बातें कर रहे हैं कि 25वां संशोधन लागू कर दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा हुआ, तो राष्ट्रपति को पद से हटाने की दुरुह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मगर कोई भी इंसान संवैधानिक संकट की स्थिति नहीं पैदा करना चाहता है। इसीलिए हम लोग सरकार को सही दिशा में ले जाने की कोशिश करते रहेंगे।
10- सेनेटर जॉन मेकैन ने अपनी विदाई वाले खत में काफी अच्छे से ये बातें लिखी हैं. सारे अमेरिकी नागरिकों को उनकी बातें सुननी चाहिए. हम जिन मूल्यों, जिन आदर्शों में भरोसा करते हैं, उनके जरिये खुद को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए. इस मुल्क से हमें जो मुहब्बत है, उसी तार के मार्फत हमें एकजुट होना चाहिए. सरकार और प्रशासन में शामिल ऐसे लोग, जो किसी भी और चीज से ज्यादा देश को प्यार करते हैं, अमेरिका को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं, वो लोग चुपचाप अपना काम कर रहे हैं. प्रतिरोध कर रहे हैं. मगर असली फर्क तब पड़ेगा, जब आम लोग, ये अवाम राजनीति, विचारधारा और इस तरह के तमाम बंटवारों से ऊपर उठकर बस एक चीज का साथ देने को एकजुट होगी. और वो चीज है- अमेरिकी जनता ।