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दिमाग के लिए अच्छा है थोड़ा सा तनाव, बिल्कुल ही तनाव नहीं होने से कमजोर पड़ती है बौद्धिक गतिविधियां

इमोशन नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध के लिए 2711 लोगों के डाटा एकत्र किए गए। शोध शुरू किए जाने से पहले सभी सहभागियों की संक्षिप्त बौद्धिक जांच की गई। उसके बाद लगातार आठ रात उनका साक्षात्कार लिया गया जिसमें उनसे सवाल-जवाब किए गए।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 08:03 PM (IST)
दिमाग के लिए अच्छा है थोड़ा सा तनाव, बिल्कुल ही तनाव नहीं होने से कमजोर पड़ती है बौद्धिक गतिविधियां
शोध के दौरान दिनभर की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली गई।

न्यूयॉर्क, आइएएनएस। आमतौर पर यही सुनते आ रहे हैं कि मानसिक तनाव स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। जो लोग तनाव मुक्त रहते हैं, वे खुशहाल रहकर ज्यादा ऊर्जावान बने रहते हैं। लेकिन एक शोध से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि आप थोड़ा-सा तनाव लेते हैं तो यह आपके दिमाग के लिए अच्छा ही है।

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पेन स्टेट के एक शोधकर्ता एम. अल्मेडा बताते हैं कि यदि आप बिल्कुल ही तनाव नहीं लेते हैं तो उससे आपका बौद्धिक कामकाज कमजोर पड़ सकता है। उनका कहना है कि मान लीजिए कि जूम मीटिंग के दौरान अचानक ही आपका कंप्यूटर खराब हो जाए तो उस समय जो तनाव पैदा होता है, उससे आप अपने कंप्यूटर को ठीक करने की कोशिश करते हैं। परेशानी पैदा होने के बावजूद वह स्थिति आपको अपनी समस्या का समाधान करने का मौका उपलब्ध कराता है, जिससे आपके बौद्धिक गतिविधियों में इजाफा होता है।

अब तक यह बात कही जाती रही है कि तनाव के कारण लोगों में नकारात्मकता बढ़ती है, भावनात्मक रूप से कमजोर भी होते हैं तथा क्रानिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। लेकिन अल्मेडा का कहना है कि यदि आपको थोड़ा-सा तनाव होता है तो उससे पार पाने पर आप अच्छा भी महसूस करते हैं।

शोध में दो हजार से ज्यादा लोगों का एकत्र किया गया डाटा

इमोशन नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध के लिए 2,711 लोगों के डाटा एकत्र किए गए। शोध शुरू किए जाने से पहले सभी सहभागियों की संक्षिप्त बौद्धिक जांच की गई। उसके बाद लगातार आठ रात उनका साक्षात्कार लिया गया, जिसमें उनसे सवाल-जवाब किए गए। उस दौरान उनका मूड, पुरानी बीमारी की स्थिति, उनके लक्षण जैसे कि सिरदर्द, कफ या गला खराब होने जैसे तकलीफों तथा दिनभर की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली गई।

इस आधार पर जुटाए गए आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि जिन 10 फीसद लोगों ने कोई तनाव नहीं होने, पुरानी बीमारियों का प्रकोप कम होने और मूड अच्छा रहने की बात बताई, उनकी बौद्धिक जांच का परिणाम कमजोर रहा। इसके साथ ही उन लोगों ने दिनभर में घटित सकारात्मक घटनाओं को भी मानसिक तौर पर पूरी शिद्दत से महसूस नहीं कर सके।


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