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अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने पर ट्रंप के खिलाफ 35 राज्यों ने किया मुकदमा

अमेरिका में अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने पर 35 राज्यों ने गठजोड़ बनाकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर मुकदमा कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी को फायदा पहुंचने की आशंका...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:49 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 01:33 AM (IST)
अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने पर ट्रंप के खिलाफ 35 राज्यों ने किया मुकदमा
अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने पर ट्रंप के खिलाफ 35 राज्यों ने किया मुकदमा

न्यूयॉर्क, रायटर। अमेरिका में 35 राज्यों ने गठजोड़ बनाकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर मुकदमा कर दिया है। यह मुकदमा प्रतिनिधि सभा की सीटों के निर्धारण के लिए हुए परिसीमन में गड़बड़ी के लिए किया गया है। राज्यों ने कहा है कि सीटों का निर्धारण अवैध रूप से देश में आकर रहने वालों की संख्या को घटाकर किया गया है। इस प्रकार से सीटों के निर्धारण से चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी को फायदा होने की उम्मीद है।

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राष्ट्रपति ट्रंप की योजना की मंगलवार को सार्वजनिक की गई है। इसमें मतदाता सूची से दसियों लाख लोगों को हटाकर प्रतिनिधि सभा की 435 सीटों का निर्धारण किया गया है। इस सूची के अनुसार 2022 से चुनाव शुरू होंगे। इसके चलते कुछ ऐसी सीटें, जहां से डेमोक्रेटिक पार्टी जीतती है, रिपब्लिकन पार्टी के कब्जे में जाने के आसार बढ़ गए हैं। इन सीटों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में बड़ी संख्या में विदेश से आए लोगों की आबादी रहती है।

इनमें काफी संख्या अवैध रूप से अमेरिका आए लोगों की है जिनके खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने बीते वर्षों में अभियान चलाया था। आमतौर पर ये अवैध प्रवासी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। ट्रंप प्रशासन की घोषित योजना का असर 2024 और 2028 के राष्ट्रपति चुनावों में देखने को मिल सकता है। इस लिहाज से ट्रंप ने आने वाले वर्षो में अपनी रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में चुनाव परिणाम आने के लिए मजबूत जमीन तैयार कर दी है।

फ‍िलहाल 35 राज्यों ने कोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में ट्रंप की योजना को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की है। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभाव वाले इन राज्यों के इस कदम पर व्हाइट हाउस ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इन्कार किया है। इससे अलग एक अन्‍य घटना में एक भारतीय महिला ने काम के परमिट जारी करने में कथित देरी के लिए अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।


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