Move to Jagran APP

मांसाहार के चलते खतरे में है पशुओं की 150 प्रजातियां

मानवों की मांसाहार की आदत के कारण बड़े जानवरों की करीब 150 प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। बड़े जानवरों की 200 प्रजातियों की संख्या लगातार कम हो रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 07:26 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 07:26 PM (IST)
मांसाहार के चलते खतरे में है पशुओं की 150 प्रजातियां
मांसाहार के चलते खतरे में है पशुओं की 150 प्रजातियां

वाशिंगटन, प्रेट्र। मानवों की मांसाहार की आदत के कारण बड़े जानवरों की करीब 150 प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। कंजर्वेशन लेटर्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, बड़े जानवरों की 200 प्रजातियों की संख्या लगातार कम हो रही है। अमेरिका की ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम रिपल ने बताया कि अध्ययन में करीब 300 प्रजातियों को शामिल किया गया। इनमें से 70 फीसद की संख्या घट रही है और 59 फीसद पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।

loksabha election banner

मांस खाने और पशु अंगों के अन्य प्रयोगों के चलते इन प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है। रिपल ने कहा, 'इन जीवों की हत्या रोककर इन प्रजातियों को बचाया जा सकता है। साथ ही हमारे वातावरण में इनके योगदान को भी बनाए रखना संभव होगा। अध्ययन के मुताबिक, पिछले 500 साल में जंगली जानवरों को सुरक्षित दूरी से मारने की मनुष्य की क्षमता तेजी से बढ़ी है। इस शिकार के चलते बड़े जानवरों की दो फीसद प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। 

रिपल ने कहा, 'नतीजे दिखाते हैं कि हम जानवरों को खाकर विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा रहे हैं। दवा के रूप में जानवरों के विभिन्न अंगों के प्रयोग से भी बड़े जानवरों पर खतरा बढ़ा है। भविष्य में 70 फीसद प्रजातियों की आबादी घटेगी। इनमें से 60 फीसद विलुप्त हो सकती हैं या दुर्लभ की श्रेणी में पहुंच सकती हैं।'

पिछले 250 साल में बड़े जानवरों की नौ प्रजातियां पूरी तरह से खत्म हो गई हैं। इनमें विशाल कछुए की दो प्रजातियां और हिरन की दो प्रजातियां भी शामिल हैं। इनमें से कछुए की एक प्रजाति 2012 में विलुप्त हुई। रिपल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शिकार के अलावा जानवरों की प्रजातियों पर संकट के और भी कारक हैं। कई जानवर ऐसे हैं जो धोखे से अन्य जानवरों के शिकार के दौरान मारे जाते हैं। साथ ही प्रतिकूल होते वातावरण से भी जानवरों पर संकट बढ़ा है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.