पुलिसकर्मी को चाय पिलाकर गणेश साहा ने की सेवा
संवाद सूत्र रायगंज अपनी असीम पीड़ा की कसक को बया किए बिना दूसरों के कष्ट को दूर करने के
संवाद सूत्र, रायगंज: अपनी असीम पीड़ा की कसक को बया किए बिना दूसरों के कष्ट को दूर करने के लिए जो सहृदयी तत्पर रहते, वही सच्चे मानव कहलाते है। वैसे तो इस संसार में छ्द्मबेशियों की कमी नहीं है जो मानवीय संवेदना के आड़ में मानव मूल्यों को तार तार करने का मौका तलाशते रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके जिंदगी का मकसद ही परदु:खकातरता है। ऐसा ही एक मिशाल रायगंज में देखने को मिला। रायगंज के रेल गुमटी इलाके का रहने वाला गणेश साहा का उसी इलाके में एक छोटा सा होटल है। भात बेचकर किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करता, लेकिन लॉक डाउन के चलते वह भी एक पखवारे से बंद है।खुद भूखे रहने की पीड़ा से वह जितना आहत नहीं था उससे ज्यादे दिन रात लोगों की सेवा में तैनात पुलिस वाले की परेशानी उसे शालता रहता। जब सुबह शाम व रात को थके हारे पुलिस कर्मी को चाय के लिए इधर उधर भटकते देखा तो उससे रहा न गया और वह रेल गुमटी के पास चाय और बिस्कुट लेकर खड़ा हो गया। रास्ते से गुजरने वाले हर पुलिस कर्मी को मुफ्त में चाय बिस्कुट का आग्रह करने लगा।
गणेश साहा ने बताया कि पुलिस के दम पर ही हम सुरक्षित रहते है। कोरोना के कारण उनकी परेशानी और अधिक बढ़ गई है। लेकिन लॉक डाउन के चलते शहर का सारा होटल व चाय की दुकान बंद है। अपनी थकान मिटाने के लिए चाय की तलाश में इधर उधर भटकते रहते है। इस आपदा के समय सभी अपने अपने घरों में बैठे हैं, लेकिन पुलिस वाले हमारी सुरक्षा के लिए खुद रास्ते की खाक छानते फिरते है। इसलिए लॉक डाउन शुरू होने के दो दिन बाद से ही उनकी सेवा करने का निश्चय किया और जब तक यह परिस्थित रहेगी वे पुलिस के लिए नि:शुल्क चाय-पानी की सेवा देते रहेंगे। यह सेवा भले ही महाप्रभुओं के लिए कोई मायने नहीं रखता हो परंतु उन लोगों के लिए बहुत बड़ी सीख है जो पुलिस पर पथराव करते, उनपर थूकते और उन्हें अपमानित करते है। ऐसे लोग भूल जाते हैं कि पुलिस वाले भी हमारे घर के ही सदस्य है, वे कानून व्यवस्था के तहत यदा कदा तल्खी से जरूर पेश आते लेकिन उनके अंदर भी मानवीय सम्वेदना उद्वेलित होती रहती है।
कैप्शन : पुलिसकर्मी को चाय पिलाते गणेश साहा