नेताजी की यादों को संजोए रखा है वर्द्धन परिवार ने
कैचवर्ड दस्तावेज -इलाके का नाम रखा गया सुभाषगंज -नेताजी के मित्र थें चिकित्सक सुरेंद्रनाथ्
कैचवर्ड : दस्तावेज
-इलाके का नाम रखा गया सुभाषगंज
-नेताजी के मित्र थें चिकित्सक सुरेंद्रनाथ वर्द्धन
-चिकित्सक सुरेंद्रनाथ बाद में स्वाधीनता संग्राम में शामिल हो गए
संवाद सूत्र,रायगंज: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रायगंज आगमन की स्मृति को आज भी शिद्दत के साथ सहेजे हुए हैं रायगंज के वर्द्धन परिवार के लोग। यहां तक कि उन्हीं के नाम पर इस इलाके का नाम सुभाषगंज रखा गया है। बताया जाता है कि तीस दशक के समय नेताजी सुभाष चंद्र अविभाजित बाग्लादेश के दिनाजपुर जाने के क्रम में रायगंज स्टेशन पर उतरे थे और वहाँ से चार किलोमीटर पैदल चलकर कुलिक नदी के उस पार स्थित मुहल्ले में रहनेवाले अभिन्न मित्र सुरेंद्रनाथ वर्द्धन से मिलने उनके घर गए थे। किंवदंति के अनुसार नेताजी अपने मित्र के घर में रात्रि विश्राम भी किए थे। उस समय रायगंजवासी अपने चहेते नेता को बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किए थें। सुरेन्द्रनाथ वर्द्धन के बारे में उनकी पुत्रवधू जया वर्द्धन ने बताया कि उनके ससुर नेताजी के साथ स्वाधीनता संग्राम में भाग लिए थे। पेशे से चिकित्सक सुरेन्द्रनाथ वर्द्धन का आदि निवास तत्कालीन बाग्लादेश के पावना में था। भारत को आजादी दिलाने के लिए वे नेताजी के सहयोद्धा बने। स्वाधीनता संग्राम के दरम्यान वे रायगंज शहर से दूर अपना नया ठिकाना बनाये थें। आजादी के बाद नेताजी भले ही अंतर्धान हो गए लेकिन सुरेन्द्रनाथ बाबू उनकी स्मृति को सहेजे जीवन पर्यंत उनकी यादों में जीते थे। 39 साल पहले 85 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के बाद उनका पुत्रवधू जया वर्द्धन और पोता सुजीत वर्द्धन नेताजी की स्मृति को सहेजे हुए है। टीन के बने कमरे, जिसमें उनके ससुर सुरेन्द्रनाथ रहते थे और उसी कमरे में एक दिन नेताजी का आगमन हुआ था, वह आज किसी मंदिर से कम नहीं है। नेताजी के तस्वीर पर नित्य पुष्प अर्पित करना उनके दिनचर्या का हिस्सा है। इतिहासविद वृंदावन घोष ने कहा कि सुरेन्द्रनाथ बाबू उम्र में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से पाँच वर्ष छोटे थे, किंतु दोनों में अभिन्न संबंध था। बाग्लादेश के पावना में उनके घर पर नेताजी के अनुगामियों के साथ बैठकें होती थी, जिसमें कभी-कभी स्वयं नेताजी भी शामिल होते थे। वहीं से स्वाधीनता संग्राम की रणनीति तैयार होती थी। जिस रात नेताजी रायगंज में रात्रि विश्राम किए थे, उसके दूसरे दिन वे बाग्लादेश के दिनाजपुर, जयपुर हाट और राजशाही में स्वाधीनता संग्रामियों से मिलने चले गए थे। रायगंज का सुभाषगंज उनकी इसी गाथा का प्रतीक है। कैप्शन : इसी कमरे में कभी नेताजी रात बिताए थे।