चुटकी के उड़ान में कथक सम्राठ बिरजू महराज का भी था योगदान
कैचवर्ड शोक -बिरजू महराज के आकस्मिक निधन से फूट-फूट कर रोयी अद्रीजा -नृत्य कार्यशाला
कैचवर्ड : शोक
-बिरजू महराज के आकस्मिक निधन से फूट-फूट कर रोयी अद्रीजा
-नृत्य कार्यशाला में बिरजू महराज ने सिखाया था अद्रीजा को कत्थक नृत्य
-अद्रीजा को काफी स्नेह करते थें बिरजू महराज
संजीव झा, रायगंज: विख्यात कत्थक सम्राट पद्म वभूषित पंडित बिरजू महाराज के आकस्मिक निधन से शोकाकुल कालियागंज की 'चुटकी'आद्रीजा दास नामक नन्हीं नृत्य कलाकार को काफी सदमा लगा है। बिरजू महराज के निधन से वह आज खूब रायी। उसने उनकी आत्मा की शाति के लिए ईश्वर के समक्ष प्रार्थना की। उल्लेखनीय है कि दस वर्षीया दिव्याग बाला आद्रीजा एक पैर खराब होते हुए भी कत्थक व शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में लगातार उड़ान भर रही है। छोटी सी उम्र में देश-विदेश अपनी हुनर की डंका पीट रही आद्रीजा के ऊपर बिरजू महाराज की नजर पड़ी। उन्होंने 2017, 2018 और 2019 में कोलकाता के मल्लिक बाजार स्थित पदादिक ऑडिटोरियम में आयोजित अपने नृत्य कार्यशाला में आद्रीजा को शामिल होने का मौका देकर उसके उड़ान को और अधिक गति और ऊर्जा प्रदान किया। उक्त कार्यशाला में बिरजू महाराज उसे 'चुटकी'कहकर बुलाते और गोद में बैठाकर उसपर अपना असीम स्नेह और आशीर्वाद लुटाते। आद्रीजा की मा देवश्री सरकार ने बताया कि 2019 में कार्यशाला के दौरान अद्रीजा के जन्मदिन की आठवीं वर्षगाठ थी। बिरजू महाराज पूरे उत्साह के साथ उसका जन्मदिवस मनाया और कत्थक के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया, जो उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। आद्रीजा के पिता अरूप दास ने कहा कि बिरजू महाराज एक श्रेष्ठ कलाकार ही नहीं थे बल्कि महान व्यक्तित्व के धनी महामानव थे। उनकी छत्र छाया में आद्रीजा को ऐसी ऊर्जा मिली जिससे उसकी दिव्यागता वरदान लगने लगा। उनकी आकस्मिक परलोकगमन से कहीं न कहीं 'चुटकी'(बिरजू महाराज द्वारा सम्बोधन) के शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में चढ़ते परवानगी के वेग को झटका लगा है।
कैप्शन : बिरजू महराज की गोद में अद्रीजा दास