देवी दुर्गा के बाद मां बलाई चंडी की पूजा रायगंज में शुरू
-मां चंडी के सौम्य रूप की पूजा होती है -देवी चंडी के साथ नहीं होता कोई असुर -500 साल प
-मां चंडी के सौम्य रूप की पूजा होती है
-देवी चंडी के साथ नहीं होता कोई असुर
-500 साल पहले से हो रही है पूजा
-पूजा कमेटी नहीं लेते किसी से चंदा
-कबूतर के साथ 500 पाठा का दिया जाता है बलि
संजीव झा, रायगंज :रायगंज के खादिमपुर में दशभुजा दुर्गा के विसर्जन के बाद चार भुजा वाली चंडी का आह्वान शुरू हुआ। शुक्रवार से शुरू माँ चंडी की आराधना मंगलवार तक चलेगी। यहाँ देवी के रौद्र रूप की जगह सौम्य रूप की अर्चना की जाती है, जो जगत कल्याणार्थ पूजित है। यहाँ की देवी की प्रतिमा के साथ असुर नहीं होता। सर्फ सिंहारूढ़ देवी दुर्गा के साथ साथ गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि 500 साल पहले विजयदशमी के दिन यहाँ प्राकृतिक आपदा आयी थी जिसमें काफी मात्रा में जान-माल व फसलों की बर्बादी हुई थी। तभी से मंगल कामना के निमित्त इस बलाई चंडी की पूजा शुरू हुई। परंपरा के मुताबिक इलाके के छह हजार परिवार मिलजुलकर पूजा का सम्पूर्ण खर्च वहन करते हैं। इसके लिए किसी बाहरी से चंदा नहीं लिया जाता। लेकिन रायगंज समेत जिला व अन्य जिले के लोग भी काफी संख्या में यहाँ आते हैं और मा चंडी की आराधना करते हैं। यहाँ कबूतर समेत 500 पाठा का बलि दिया जाता है। प्रसाद के रूप में आए हुए श्रद्धालुओं को खिचड़ी, मिठाई और फल वितरण किया जाता है। पूजा के बाद प्रतिमा को सालभर रखा जाता है, जहाँ इलाके के लोग साल भर पूजा अर्चना करते हैं। अगले साल विश्वकर्मा पूजा के दिन इसका विसर्जन किया जाता है और उसी दिन नवीन प्रतिमा बनाने का काम प्रारंभ होता है। पूजा कमिटि के सचिव विश्वनाथ वर्मन व अध्यक्ष फूल कात वर्मन ने बताया कि यहाँ प्रत्येक वर्ष भक्ति, प्रेम और सौहार्दता के साथ इलाके वासियों के समवेत प्रयास से उक्त पूजा का आयोजन होता है। इलाकेवासी इसके लिए साल भर उत्सुकतापूर्वक इंतजार करते हैं। इस अवसर पर सात दिनों तक मेला लगता है, जिसमें इलाकेवासियों के सगे संबंधियों का अद्भुत प्रेम मिलाप होता है। हालाकि कोविड की वजह से विगत दो सालों से मेला या अत्यधिक जमघट पर पाबंदी लगाई गई है, लेकिन पूरा भरोसा है कि मा चंडी ही इस महामारी के विकराल परिस्थिति से बाहर निकालेंगी जिससे आगामी वर्ष पूरे धूमधाम से इसे मना सकेंगे।
कैप्शन : मां चंडी के साथ अन्य देवी-देवता