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मक्के का निर्यात ठप्प होने से 25 करोड़ से अधिक नुकसान होने का अनुमान

- बांग्लादेश में आर्थिक संकट चेंगड़ाबांधा सीमा पर खड़े है हजार से अधिक ट्रेन - भारतीय

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 07:15 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 07:15 PM (IST)
मक्के का निर्यात ठप्प होने से 25 करोड़ से अधिक नुकसान होने का अनुमान

- बांग्लादेश में आर्थिक संकट, चेंगड़ाबांधा सीमा पर खड़े है हजार से अधिक ट्रेन

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- भारतीय व्यवसायी निर्यात के लिए मक्के को वापस रेल के जरिए भेज रहे हैं विदेशों में

संवादसूत्र, चेंगड़ाबांधा : एक तरफ बाग्लादेश में मक्के के दाम कम हो गए है, और वही उस देश में डॉलर में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कूचबिहार जिले के चेंगड़ाबांधा सीमा के रास्ते भारत से बाग्लादेश में मक्के का आयात बंद हो गया है। वर्तमान में इस बंदरगाह पर अब तक लगभग 1,000 मक्के से लदे ट्रक खड़े हैं। इनमें से अधिकाश ट्रकें ढाई महीने से अधिक समय से इस सीमा पर फंसे हुए हैं। अब नुकसान से बचने के लिए बाग्लादेशी व्यापारियों ने भारत से मक्के का आयात बंद कर दिया है।

दूसरी तरफ के व्यापारी दूसरे पक्ष के व्यापारियों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे बाग्लादेश को मक्के न भेजें। लेकिन अब यह समस्या जटिल हो गई है। विभिन्न मक्के के व्यापारियों को पहले ही 25 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इस स्थिति में और नुकसान से बचने के लिए, कई मक्का व्यापारी बाग्लादेश को निर्यात के लिए रेल द्वारा मक्के भेज रहे हैं। कारण सीमा के इस क्षेत्र में इतनी मात्रा में मक्के का भंडार करने के लिए गोदाम नहीं हैं। इसलिए मजबूरन उन्हें लंबे समय से खड़े ट्रकों से अनाज उतार कर वैगनों में लोड कर विदेश भेजना पड़ता है। देश पिछले कुछ दिनों से सीमा पर स्थित चेंगड़ाबांधा रेलवे स्टेशन इस काम में व्यस्त है।

व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ वषरें से बाग्लादेश में भारतीय मक्के की भारी माग के कारण, चेंगड़ाबांधा सीमा के माध्यम से बाग्लादेश को मक्के का निर्यात बहुत अधिक जमा हुआ है। मक्के को अन्य राज्यों से रेल द्वारा लाया गया और सड़क मार्ग से बाग्लादेश भेजा गया। लेकिन हाल ही में, बाग्लादेशी व्यापारी मक्का खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अधिकाश व्यापारी मक्के को ट्रकों से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं। डिटेंशन चार्ज के रूप में प्रति ट्रक 1200-1500 रुपये खर्च होते हैं। अगर इसे सीधे बाग्लादेश को निर्यात किया जाता है, तो व्यापारियों को यह डिटेंशन लागत खर्च नहीं करनी पड़ेगी। इसके अलावा, मकई बर्बाद हो रही है। एक से अधिक बार लोडिंग-अनलोडिंग के कार्य के लिए अतिरिक्त श्रम लगतस है। चेंगड़ाबांधा एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव ईदु सदागर ने कहा कि डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण, मक्के की कीमत में कमी, बाग्लादेश में मक्के का निर्यात बंद हो गया है। कैप्शन : चेंगड़ाबांधा सीमा के पास खड़ी ट्रकों की लंबी लाइन


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