बाघ से रक्षा की तैयारी कर रहे ग्रामीण
पश्चिम मेदिनीपुर जिले के जंगलों में लंबे समय से आतंक का पर्याय बन चुके
संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के जंगलों में लंबे समय से आतंक का पर्याय बन चुके बाघ को लेकर एक ओर जहां ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटने लगा है, वहीं दूसरी ओर वन विभाग की कार्रवाई पर भी असंतोष पैदा होने लगा है। शुक्रवार को मेदिनीपुर प्रखंड के बाघघोड़ा में नजर आए रॉयल बंगाल टाइगर के पैरों के निशान शनिवार को मेदिनीपुर शहर से महज आठ किमी दूर गुड़गुड़ीपाल जंगल के रास्ते में नजर आए। वन विभाग की नाकामी से नाराज ग्रामीण अपनी रक्षा के लिए स्वयं तैयारी कर रहे हैं। शनिवार को गांव में ग्रामीणों को अस्त्र-शस्त्र दुरुस्त करते हुए देखा गया।
गुड़गुड़ीपाल निवासी रूपसा सोरेने ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बाघ पकड़ने को लेकर वन विभाग की ओर अब तक हुई कार्रवाई से कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। शुक्रवार को बाघघोड़ा इलाके में बाघ सामने आने के बाद वन विभाग कर्मियों की जो हरकत देखने को मिली उसके बाद से वन विभाग की टीम पर से हमारा विश्वास उठ गया है। जंगल में बराबर रहने के कारण हम ग्रामीणों को जंगली जानवरों से निपटना आता है। इसके लिए हम लोगों ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। साथ ही सुरक्षा कारणों से रात के समय में पहरा देने के लिए भी हम लोग तैयार हो गए हैं। दूसरी ओर धेडुआ रेंज की रेंजर निवेदिता अधिकारी ने कहा कि जंगल में बाघ समेत कई ¨हसक जानवर घूम रहे हैं। इसको लेकर हम लोग बराबर माइक से उद्घोषणा कराते हुए लोगों को जंगल में शिकार करने जाने, लकड़ी काटने व साल पत्ता एकत्रित करने के लिए जाने से मना करने का प्रयास कर रहे हैं।