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West Bengal Election: जानें, क्यों खास है नंदीग्राम; सुवेंदु के गढ़ से ममता क्यों लड़ रही हैं चुनाव

West Bengal Election तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम में मेगा रैली कर अगला विधानसभा चुनाव नंदीग्राम से लड़ने का बड़ा एलान किया। वहीं सुवेंदु ने ममता को 50 हजार वोट से हराने का एलान किया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 08:18 PM (IST)
West Bengal Election: जानें, क्यों खास है नंदीग्राम; सुवेंदु के गढ़ से ममता क्यों लड़ रही हैं चुनाव
जानें, क्यों नंदीग्राम है खास; सुवेंदु के गढ़ से ममता क्यों लड़ रही हैं चुनाव। फाइल फोटो

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। West Bengal Election: बंगाल की राजनीति में सोमवार का दिन बेहद ही हाई वोल्टेज रहा, जब यहां की राजनीति के दो दिग्गजों ने एक दूसरे के गढ़ में रैली व रोड शो कर सीधे चुनौती दी। मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने जहां हाल में भाजपा में शामिल होने वाले कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम में मेगा रैली कर अगला विधानसभा चुनाव नंदीग्राम से लडऩे का बड़ा एलान किया। दूसरी ओर, भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने दक्षिण कोलकाता में ममता बनर्जी के गढ़ में इस दिन रोड शो कर हुंकार भरी। उन्होंने ममता की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा कि नंदीग्राम से ममता बनर्जी को 50 हजार से ज्यादा वोट से हराएंगे, नहीं तो राजनीति छोड़ दूंगा।

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उन्होंने लोगों से इस बात को लिखकर तक रख लेने को कहा। सुवेंदु ने कहा कि ममता बनर्जी को नंदीग्राम की याद सिर्फ चुनाव के समय आती है इसीलिए वह पांच साल बाद वहां रैली करने गईं थी। उन्होंने सवाल किया कि आपने नंदीग्राम के लिए क्या किया? सुवेंदु ने यह भी आरोप लगाया कि जिस नंदीग्राम की बदौलत ममता बनर्जी 2011 में सत्ता में आई, उस नंदीग्राम आंदोलन के दौरान किसानों पर गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारी अरुण गुप्ता को राज्य सरकार ने चार बार एक्सटेंशन दिया है। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम की जनता ममता बनर्जी को कभी माफ नहीं करेगी।

नंदीग्राम व भवानीपुर दोनों जगहों से चुनाव लड़ेंगी ममता

दरअसल, ममता ने सुवेंदु को ध्यान में रखकर ही नंदीग्राम से चुनाव लडऩे का एलान किया है, जिन्होंने 2016 में तृणमूल उम्मीदवार के तौर पर यह सीट जीती थी। यह इलाका सुवेंदु का गढ़ माना जाता है। इसके जरिए कहीं न कहीं उन्होंने अधिकारी परिवार को सीधे चुनौती दी है जिनका पूर्व मेदिनीपुर सहित आसपास के जिलों में प्रभाव है। ममता साथ ही अपनी परंपरागत सीट दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से भी लडऩे की बात कहीं। उन्होंने कहा- यदि संभव हुआ तो मैं दोनों जगहों से चुनाव लडूंगी, यदि भवानीपुर से नहीं लड़ पाई तो कोई और वहां से लड़ेगा।

ममता की रैली से दूर रहे सुवेंदु के सांसद पिता व भाई

वहीं, पांच साल में यह पहली बार है जब ममता ने अधिकारी परिवार के बिना नंदीग्राम में रैली की। सुवेंदु के पिता शिशिर अधिकारी व भाई द्विव्येंदु अधिकारी दोनों कांथी व तमलुक से तृणमूल के सांसद हैं, लेकिन दोनों ममता की रैली से दूर रहे। उन्हें आमंत्रित भी नहीं किया गया था। गौरतलब है कि सुवेंदु पिछले महीने 19 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए थे।

सुवेंदु पर ममता ने बोला करारा हमला, भाजपा को काले को सफेद करने वाला वाशिंग पाउडर बताया

इससे पहले नंदीग्राम में रैली के दौरान ममता ने कहा, दूसरे दलों में जाने वालों को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं क्योंकि जब तृणमूल कांग्रेस बनी थी, तब उनमें से कोई नहीं था। उनका इशारा सुवेंदु समेत उन पार्टी नेताओं की ओर था जो भाजपा में शामिल हो गए हैं। ममता ने भाजपा को काले को सफेद करने वाला वाशिंग पाउडर भी बताया और कहा कि इन नेताओं ने पिछले कुछ सालों के दौरान अपने द्वारा लूटे गए धन को बचाने के लिए तृणमूल छोड़ी। ममता ने यह भी कहा वह बंगाल को भाजपा के हाथों नहीं बिकने देंगी।

ममता ने नंदीग्राम से तृणमूल के प्रचार अभियान की भी शुरुआत की

ममता ने नंदीग्राम में रैली के दौरान यहां से चुनाव लडऩे की घोषणा के साथ विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रचार अभियान की भी शुरुआत की। ममता ने कहा कि मैं हमेशा से नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की है। यह मेरे लिए भाग्यशाली स्थान है। इस बार, मुझे लगा कि यहां से विधानसभा चुनाव लडऩा चाहिए। ममता फिलहाल दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं।

नंदीग्राम क्रांति की मिट्टी है, भाजपा को बंगाल से उखाड़ फेकेंगे

ममता ने कहा, नंदीग्राम क्रांति की मिट्टी है और यह युवा तृणमूल कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। तृणमूल ने पहले वामपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, इस बार लड़ाई बुरी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ है। बंगाल से भाजपा को उखाड़ फेंकना है। ममता ने आगे कहा कि सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन भारत के राजनीतिक इतिहास में दो मील के पत्थर थे। दोनों का नेतृत्व मैंने किया है। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम को मैं नहीं भूली हूं। 10 वर्षों में नंदीग्राम में बहुत विकास हुआ है। ममता ने यह भी दावा किया कि बंगाल में इस बार भी तृणमूल की सरकार बनेगी और हम 200 से ज्यादा सीटें जीतेंगे।

जब तक जिंदा हूं, बंगाल को भाजपा के हाथों नहीं बिकने दूंगी

ममता ने इस दौरान कहा, जो पार्टी से चले गए, उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं। उन्हें देश का राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति बनने दीजिए। लेकिन, आप बंगाल को भाजपा के हाथों बेचने का दुस्साहस नहीं करें। जब तक मैं जिंदा हूं, मैं उन्हें अपने राज्य को भाजपा के हाथों नहीं बिकने दूंगी। राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं।

क्यों खास है नंदीग्राम

गौरतलब है कि 2007 में पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण को लेकर चले आंदोलन के चलते ही ममता 2011 में सत्ता में पहुंची थी और 34 साल से जारी वाम शासन का खात्मा किया था। ममता ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था और तब सुवेंदु ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। 


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