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लॉकडाउन में पढ़ाई ना रुके, गांव में नहीं मिलता नेटवर्क, इंटरनेट स्पीड के लिए पेड़ पर चढ़कर पढ़ाते हैं एक शिक्षक

लॉकडाउन में पढ़ाई ना रुके गांव में नहीं मिलता नेटवर्क इंटरनेट स्पीड के लिए पेड़ पर चढ़कर पढ़ाते हैं एक शिक्षक

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 08:48 AM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 08:48 AM (IST)
लॉकडाउन में पढ़ाई ना रुके, गांव में नहीं मिलता नेटवर्क, इंटरनेट स्पीड के लिए पेड़ पर चढ़कर पढ़ाते हैं एक शिक्षक
लॉकडाउन में पढ़ाई ना रुके, गांव में नहीं मिलता नेटवर्क, इंटरनेट स्पीड के लिए पेड़ पर चढ़कर पढ़ाते हैं एक शिक्षक

कोलकाता, एएनआई। कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से अधिकतर लोगों का कामकाज ठप हो गया है तो बहुत से लोग घर से काम कर रहे हैं। घर से काम करने में कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं, लेकिन लोग अनूठे तरीकों से इनका हल निकाल रहे हैं। पश्चिम बंगाल से एक टीचर की तस्वीर सामने आई है जो स्टू़डेंट्स को आजकल घर से ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं। घर में इंटरनेट की स्पीड ठीक नहीं रहती इसलिए वह पेड़ पर चढ़कर पढ़ाते हैं। पश्चिम बंगाल में बांकुरा के एक गाँव के एक शिक्षक सुब्रतो पति ने एक पेड़ पर अपना कार्यक्षेत्र स्थापित किया है, ताकि वे बिना नेटवर्क व्यवधान के ऑनलाइन कक्षाएं ले सकें।

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पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के अहंदा गांव में सुब्रत पति नाम के शिक्षक रहते हैं। वह इतिहास के शिक्षक हैं और इन दिनों उनके लिए क्लास का अनुभव काफी अलग हो गया है। घर में इंटरनेट स्पीड ठीक नहीं आने की वजह से वह नीम के पेड़ पर चढ़कर बच्चों को ऑलाइन पढ़ाते हैं। कोलकाता के दो शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले सुब्रत के लिए ऑनलाइन क्लास लेना भी एक जंग सा हो गया है। उन्हें मोबाइल के जरिए क्लास लेनी होती है। लेकिन इंटरनेट की स्पीड ठीक नहीं होने की वजह से इसमें बाधा आती थी। पहले तो उन्हें लगा कि क्लास नहीं ले पाएंगे लेकिन फिर बेहतर नेटवर्क की तलाश में वह पेड़ पर चढ़ गए। उन्होंने पाया कि यहां इंटरने की स्पीड ठीक है।  

35 वर्षीय सुब्रत अब हर दिन सुबह घर के सामने नीम के पेड़ पर चढ जाते हैं। यहां उन्होंने लकड़ी का ढांचा भी तैयार कर लिया है। इस स्टैंड पर बैठकर वह अपने शिष्यों को इतिहास का ज्ञान देते हैं।  

सुब्रत कहते हैं, मैं अलग-अलग कक्षाएं लेता हूँ। सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक।  मैंने अपना अवास अस्थायी तौर पर कोलकाता से अपने गांव शिफ्ट कर लिया है। यह राज्य के जंगलमाला इलाके में है। कोरोना लॉकडाउन में मैं परिवार के साथ रहने आ गया। मैंने टीजर के रूप में अपनी जिम्मेदारी छोड़ी नहीं है। यहां इंटरनेट नेटवर्क ठीक नहीं रहता है। इसलिए मुझे समाधान की तलाश थी। वह खाना और पानी के साथ पेड़ पर बनाए अपने प्लैटफॉर्म पर चले जाते हैं और हर दिन 2-3 क्लास लेते हैं। उन्होंने कहा- हमें अपने गाँव में हर जगह नेटवर्क सिग्नल नहीं मिलते हैं। 


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