West Bengal : तस्करों ने अब अवैध घुसपैठ व सामानों की तस्करी के लिए मालगाड़ी को बनाया हथियार
कोरोना काल में तस्करों ने अब अवैध घुसपैठ व सामानों की तस्करी के लिए मालगाड़ी को बनाया हथियार मालगाड़ी ट्रेन के जरिए चोरी-छिपे घुसपैठ व सामानों की तस्करी की हो रही कोशिश
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकट के मद्देनजर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बंगाल में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवैध घुसपैठ, तस्करी व ट्रांस बॉर्डर अपराधों को रोकने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर द्वारा अपनी जिम्मेदारी के बॉर्डर इलाकों में बेहद कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकि कोरोना काल में एक भी घुसपैठिए हमारी सीमा में दाखिल ना हो पाए, वहीं तस्करों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
इसके कारण तस्करों व घुसपैठियों के मंसूबे लगातार विफल हो रहे हैं। ऐसे में हताश तस्कर बीएसएफ को चकमा देने के लिए नित नए-नए तरीके अपना रहे हैं। इसी कड़ी में तस्करों ने अब मालगाड़ी ट्रेन को अपना नया हथियार बनाया है जो भारत और बांग्लादेश के बीच सामानों की आवाजाही के लिए चल रही है। तस्कर अब मालगाड़ी में चोरी-छिपे सामानों को छुपाकर बांग्लादेश में तस्करी की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दूसरी और बांग्लादेश से जो खाली मालगाड़ी बंगाल आ रही है उसमें मानव तस्कर अवैध तरीके से घुसपैठियों व नाबालिग किशोर को चोरी- छुपे बैठा कर भारत में काम के उद्देश्य से भेजने की कोशिश कर रहे हैं।
20 जून से अब तक आधा दर्जन बांग्लादेशी मालगाड़ी से पकड़े गए
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि 20 जून से अब तक 5 घटनाओं में हमारे जवानों ने आधा दर्जन बांग्लादेशी नागरिकों को मालगाड़ी से पकड़ा है जब वे सीमा पार से आ रही मालगाड़ी में सफर कर रहे थे। इनमें दो तो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे जिनको मानव तस्करों के दलालों ने बाल श्रम के उद्देश्य से बोगी में छिपाकर भारत भेजा लेकिन यह पकड़े गए।
बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित पेट्रापोल चेकपोस्ट पर मालगाड़ी की तलाशी के दौरान जवानों ने इन्हें पकड़ा था। इसके अलावा तीन बांग्लादेशी नागरिकों को बांग्लादेश जा रही मालगाड़ी की बोगी में मिर्च के बोरों के नीचे छिपे होने पर पेट्रापोल चेक पोस्ट से गिरफ्तार किया गया। लॉकडाउन में काम बंद होने की वजह से ये लोग वापस बांग्लादेश लौट रहे थे।
इधर, बीते 18 जुलाई को बंगाल के नदिया जिले में गेदे चेक पोस्ट पर बीएसएफ जवानों ने बांग्लादेश जा रही मालगाड़ी की तलाशी में करीब 46.5 लाख रुपये मूल्य के तस्करी के सामानों की बड़ी खेप जब्त किया। इनमें बड़ी मात्रा में साड़ियां, जूते चप्पल, सौंदर्य प्रसाधन, मोबाइल, विभिन्न प्रकार की दवाइयां तथा फेंसिडिल की बोतलें आदि बरामद की गई जिसे मालगाड़ी की बोगी में छिपाकर भेजा रहा जा रहा था। इससे पहले भी गेदे चेक पोस्ट से जवानों ने मालगाड़ी में छिपाकर भेजे जा रहे हैं बड़ी मात्रा में दवाइयां, इंजेक्शन, फेंसिडिल जब्त किया था।
बीएसएफ प्रवक्ता ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घुसपैठ व तस्करी जो कि मालगाड़ी के जरिए हो रही है यह तस्करों ने नया तरीका अपनाया है। गुलेरिया ने बताया कि हमने रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से भी इस विषय में बात की है। जब मालगाड़ी खाली कर दिए जाए तो इनके डिब्बों को अच्छी तरह से चेक करके सील कर दिया जाए ताकि अवैध घुसपैठ ना हो सके।
रेलवे व कस्टम विभाग के कुछ कर्मियों की भूमिका संदिग्ध
दरअसल, मालगाड़ी के जरिए सामानों की तस्करी व घुसपैठ की घटनाओं में रेलवे व कस्टम विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों की मानें तो इन विभागों के कुछ कर्मियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। हाल में गेदे चेक पोस्ट पर मालगाड़ी से जो 46.5 लाख का सामान पकड़ा गया है उसी की बात करें तो राणाघाट स्टेशन पर कस्टम की जांच के बाद जिस मालगाड़ी को बांग्लादेश जाने के लिए हरी झंडी दी गई थी उसी ट्रेन से बीएसएफ के जवानों ने इतनी बड़ी मात्रा में तस्करी का सामान जब्त किया।
बीएसएफ अधिकारियों ने कस्टम विभाग व रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया है कि मालगाड़ी में आखिर यह तस्करी का सामान कैसे आया। इससे पहले मालगाड़ी से घुसपैठियों की गिरफ्तारी को लेकर भी बीएसएफ ने रेलवे के समक्ष मुद्दा उठाया था। गौरतलब है कि कुछ कर्मियों की कथित तौर पर मिलीभगत की वजह से इस प्रकार की जो घटना सामने आ रही है यह देश की सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ है। ऐसे में रेलवे प्रशासन व कस्टम विभाग को कड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि आगे से मालगाड़ी में यह घटना ना हो।