West Bengal Politics:सत्ता के केंद्र हावड़ा में सत्तारूढ़ तृणमूल के अंदर चल रही है भीषण गुटबाजी
बंगाल में कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेताओं के लगातार इस्तीफे से तृणमूल कांग्रेस को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। वहीं जिस जिले में स्थित राज्य सचिवालय नवान्न में बैठकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे बंगाल पर शासन चलाती है
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेताओं के लगातार इस्तीफे से तृणमूल कांग्रेस को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। वहीं, जिस जिले में स्थित राज्य सचिवालय नवान्न में बैठकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूरे बंगाल पर शासन चलाती है उसी हावड़ा में तृणमूल कांग्रेस तीन खेमों में बंटी हुई है। यहां पार्टी के अंदर जबरदस्त गुटबाजी चल रही है। इसमें एक खेमा कद्दावर मंत्री राजीव बनर्जी का, दूसरा खेमा मंत्री अरूप राय का और तीसरा खेमा लक्ष्मी रतन शुक्ला का है।
शुक्ला ने एक दिन पहले ही मंत्री व तृणमूल जिला अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है। इसके बाद पार्टी में अलग-थलग व नाराज नेताओं ने सवाल उठाते हुए एक-दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। हावड़ा के बाली से विधायक व तृणमूल सदर की प्रवक्ता वैशाली डालमिया ने पार्टी पर फिर अपना गुस्सा उतारते हुए यहां तक कहा कि तृणमूल के कुछ नेता व कार्यकर्ता ही दीमक की तरह पार्टी को अंदर से खोखला कर रहे हैं। इसीलिए एक- एक कर कुर्सी का पाया टूट रहा है। लक्ष्मी के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि किसी का धैर्य ऐसे ही नहीं टूटता है। अपमान सहने की भी एक सीमा होती है। जिस तरह से कुछ पूर्व पार्षद, ब्लॉक अध्यक्ष व अन्य तृणमूल कार्यकर्ता विधायकों को अपमानित करते हैं वह बर्दाश्त के बाहर है। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह एक एक पीला टूटते जाएंगे तो निश्चित रूप से पार्टी को नुकसान होगा।
दरअसल बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत जगमोहन डालमिया की बेटी वैशाली पिछले कुछ समय से लगातार पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोली हुई हैं। वहीं, हावड़ा के पूर्व मेयर व तृणमूल नेता डॉ रथीन चक्रवर्ती ने भी शुक्ला के इस्तीफे के बाद संगठन पर सवाल उठाते हुए कहा है पार्टी में अब सिर्फ दबंगों का वर्चस्व है। कार्यकर्ताओं को काम करने की आजादी नहीं है। इससे पहले हावड़ा के शिवपुर से विधायक व तृणमूल के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे वरिष्ठ नेता जट्टू लाहिरी भी पार्टी के कामकाज पर सवाल उठा चुके हैं। वहीं, जिले में पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता व संस्थापक सदस्य रहे बानी सिंह राय ने भी पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे और वह हाल में भाजपा में शामिल हो गए थे। दूसरी ओर, हावड़ा सदर से तृणमूल सांसद प्रसून बनर्जी भी नाराज चल रहे हैं। उन्हें हाल में पार्टी के स्थापना दिवस पर जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भी नहीं बुलाया गया था। इसको लेकर उन्होंने इशारों में तृणमूल के जिला चेयरमैन व मंत्री अरुप राय पर निशाना साधा था।
वहीं, कद्दावर मंत्री राजीव बनर्जी भी नाराज चल रहे हैं और अरुप राय के साथ उनका पहले से टकराव है। इस तरीके से जिले में तृणमूल के अंदर जो स्थिति है वैसे में तृणमूल का मजबूत गढ़ माने जाने वाले हावड़ा में आपसी गुटबाजी के चलते पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नौ जनवरी को एक बार फिर बंगाल के दौरे पर आ रहे हैं, ऐसे में तृणमूल के कौन-कौन से नेता भाजपा में जा रहे हैं इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है।
अन्य जिलों में भी पार्टी के अंदर है गुटबाजी
दरअसल, हावड़ा ही नहीं कोलकाता, हुगली सहित अन्य जिलों में भी पार्टी नेताओं के बीच गुटबाजी चल रही है। कोलकाता से आने वाले मंत्री साधन पांडेय भी गुटबाजी को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।