West Bengal Politics: भाजपा विधायकों का इस्तीफा मंजूर, आठ समितियों के अध्यक्ष बने तृणमूल विधायक
भाजपा से तृणमूल में शामिल होने के बावजूद मुकुल राय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाए जाने पर भाजपा विधायकों ने विधानसभा की आठ समितियों के अध्यक्ष पद से दिए इस्तीफेे को शुक्रवार को स्पीकर बिमान बनर्जी ने स्वीकार कर लिया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: भाजपा से तृणमूल में शामिल होने के बावजूद मुकुल राय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाए जाने पर भाजपा विधायकों ने विधानसभा की आठ समितियों के अध्यक्ष पद से दिए इस्तीफे को शुक्रवार को स्पीकर बिमान बनर्जी ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद उक्त सभी समितियों के अध्यक्ष पद पर अब तृणमूल कांग्रेस के आठ विधायकों को बैठा दिया गया।
आठ स्थाई समितियों के अध्यक्ष पद से भाजपा विधायकों के इस्तीफा देने के बाद विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा था कि भाजपा परिषदीय दल के साथ स्पीकर ने सलाह किए बिना ही आठ स्थाई समितियों के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा विधायकों के नामों की घोषणा कर दी थी। पीएसी अध्यक्ष को लेकर जिस तरह राजनीति हुई है उसी के मद्देनजर हमलोगों ने सभी पद से छोड़ दिया है। शुक्रवार को तृणमूल विधायकों में से उक्त आठ समितियों के अध्यक्ष के नामों की घोषणा की गई।
विधानसभा की श्रम समिति का अध्यक्ष भाजपा के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा को बनाया गया था, इस्तीफे के बाद अब नया अध्यक्ष तृणमूल के मदन मित्रा होंगे। इसी तरह से एस्टीमेट्स कमेटी में भाजपा के मिहिर गोस्वामी के स्थान पर तृणमूल के सुदीप्त राय, कमेटी आन पेपर के अध्यक्ष पद पर भाजपा के आनंदमय बर्मन के इस्तीफे के बाद अब तृणमूल के हुमायूं कबीर को अध्यक्ष बनाया गया है।
अधीनस्थ विधान कमेटी में अशोक कीर्तनिया के स्थान पर पन्नालाल हलदर, पावर समिति में कृष्ण कल्याणी के स्थान पर अब्दुल खालिक मुल्ला, मत्स्य पालन समिति में निखिल रंजन दे के स्थान पर रुकबानुर रहमान को अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह से तपन दासगुप्ता ने लोक निर्माण समिति के अध्यक्ष के रूप में भाजपा के विष्णु प्रसाद शर्मा की जगह ली। प्रौद्योगिकी समिति के दीपक बर्मन के इस्तीफा देने के बाद अशोक चटर्जी को अध्यक्ष बनाया गया है।
विधानसभा की स्थाई समितियों की बैठक 26 जुलाई से शुरू होगी। यह 30 जुलाई तक चलेगी। कुल 41 स्थायी समितियां हैं। उस दिन 31 अध्यक्ष मौजूद थे। संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि जिन्हें विपक्ष का अध्यक्ष बनाया गया था, वे आएंगे। लेकिन वे राजनीतिक दृष्टि से इस महत्वपूर्ण बैठक से नदारद रहे हैं। स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया, लेकिन सदस्य के रूप में बने रहे। हमें नहीं पता कि क्या कारण है?