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West Bengal Politics: तीरथ सिंह रावत के बाद ममता की कुर्सी पर भी मंडरा सकता है 'संवैधानिक संकट'!

West Bengal Politics उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद क्या बाद बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी पर भी संवैधानिक संकट मंडरा सकता है? अब कुछ ऐसे ही सवाल सियासी गलियारों में उठने लगे हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 03 Jul 2021 05:11 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jul 2021 05:28 PM (IST)
बंगाल की मुख्यमंत्री को भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति का करना पड़ सकता है सामना

राज्य ब्यूरो कोलकाता : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद क्या बाद बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी पर भी 'संवैधानिक संकट' मंडरा सकता है? अब कुछ ऐसे ही सवाल सियासी गलियारों में उठने लगे हैं। भले ही रावत के इस्तीफे को भाजपा के अंदरूनी हालात से भी जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन यह बात भी सच है कि उनके इस्तीफे के पीछे संवैधानिक संकट भी था। कुछ ऐसी ही परिस्थिति का सामना बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके कुछ मंत्रियों को भी करना पड़ सकता है।

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ममता बनर्जी भी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। ममता ने चार मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थीं। उन्हें शपथ लेने के छह महीने के भीतर सदन का सदस्य बनना जरूरी है और यह संवैधानिक बाध्यता भी है। ममता बनर्जी ने उपचुनाव लड़ने के लिए अपनी पुरानी भवानीपुर सीट खाली भी करा ली है। लेकिन वह विधानसभा का सदस्य तभी बन पाएगीं जब अवधि के अंदर चुनाव कराए जाएंगे। कोरोना महामारी की वजह से फिलहाल चुनावी प्रक्रिया स्थगित की गई है। चुनाव कब होंगे इस को लेकर फैसला चुनाव आयोग को करना है। अगर चुनाव आयोग चार नवंबर तक चुनावी प्रक्रियाओं को खत्म करने का निर्णय नहीं लेता है तो ममता की कुर्सी पर भी खतरा हो सकता है। हालांकि सरकार ने चुनाव आयोग से रिक्त विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए आग्रह किया है। आयोग ने कल दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए ममता सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है।

विधान परिषद का रास्ता भी मुश्किल

-ममता ने हालात को समझते हुए विधान परिषद के गठन वाला रास्ता निकालने की कोशिश की हैं। छह जुलाई को सरकार विधान परिषद बनाने की सिफारिश की जांच के लिए तदर्थ समिति की रिपोर्ट पर चर्चा और आगामी बजट सत्र में इसे पारित करने के लिए पेश करेगी। लेकिन यह केंद्र की मंजूरी के बगैर संभव नहीं है। केंद्र सरकार के साथ ममता बनर्जी के रिश्ते जगजाहिर हैं। ऐसे में विधान परिषद वाला रास्ता फिलहाल उनके लिए मुश्किल ही नजर आ रहा है।

भाजपा ने कहा, नैतिक आधार पर ममता को इस्तीफा दे देना चाहिए

-इस मुद्दे पर भाजपा भी ममता को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि ममता बनर्जी विधायक नहीं हैं लेकिन मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं। लिहाजा नैतिकता के आधार पर उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

उत्तराखंड से बंगाल की तुलना बेमानी : तृणमूल

-दूसरी ओर तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदुशेखर रॉय ने कहा कि दोनों राज्यों के हालात की तुलना नहीं की जा सकती। उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में मतदान है। इसलिए कोरोना के इस माहौल में इतने कम समय के लिए उपचुनाव कराने में आनाकानी हो सकती है। लेकिन मई में ही ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई है। इसलिए उपचुनाव न कराने का कोई कारण नहीं है।


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