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West bengal politics: नई शिक्षा नीति न संसद में पारित हुई और न राज्य को भरोसे में लिया गयाः तृणमूल

बंगाल के शिक्षामंत्री चटर्जी ने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची में है इसके बावजूद 29 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नई नीति को पारित करने से पहले इसकी सामग्री पर राज्यों से चर्चा

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 07:34 PM (IST)
West bengal politics: नई शिक्षा नीति न संसद में पारित हुई और न राज्य को भरोसे में लिया गयाः तृणमूल
West bengal politics: नई शिक्षा नीति न संसद में पारित हुई और न राज्य को भरोसे में लिया गयाः तृणमूल

राज्य ब्यूरो,कोलकाताः बंगाल में ममता सरकार के वरिष्ठ मंत्री पार्थ चटर्जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह संसद की मंजूरी के बिना बनाई गई और राज्यों को भी भरोसे में नहीं लिया गया। बंगाल के शिक्षामंत्री चटर्जी ने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची में है, इसके बावजूद 29 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नई नीति को पारित करने से पहले इसकी सामग्री पर राज्यों से चर्चा नहीं की गई। 

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उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और वाम दलों ने 30 जुलाई को संसद को अनदेखा करके नई शिक्षा नीति बनाने पर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने नई शिक्षा नीति पर हमला तेज करते हुए शनिवार को कहा कि यह हिंदी और संस्कृत भाषा को ‘थोपने’ की कोशिश है। उन्होंने समान विचारधारा की पार्टियों और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर इसके खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया।

चटर्जी ने शनिवार शाम को पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि नई शिक्षा नीति -2020 पश्चिमी शिक्षा मॉडल की नकल है। तृणमूल महासचिव पद की भी जिम्मेदारी निभा रहे चटर्जी ने कहा कि मैं आश्चर्यचकित हूं कि उन्होंने (केंद्र) संसद और राज्यों से बिना चर्चा इसे लागू करने के बारे में सोचा। यह एकतरफा है। मंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार ने नई शिक्षा नीति को लेकर 10 से 12 बिंदु बनाए है जो जल्द ही केंद्र को भेजी जाने वाली चिट्ठी में रेखांकित की जाएगी। 

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भाजपा का पलटवार 

चटर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि जिन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया उन्हें दूसरों की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि जिस राज्य की कोई शिक्षा नीति नहीं है, वह केंद्र सरकार की शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। बंगाल में शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से खंडित हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि 1986 में बनी पुरानी शिक्षा नीति के स्थान पर नयी शिक्षा नीत-2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को मंजूरी दी।


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