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पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा- राज्यों को बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए

बंगाल के वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर दिए संकेत कहा- बाजार से कर ले कर जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करना उचित नहीं

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 10:00 AM (IST)
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा- राज्यों को बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा- राज्यों को बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। केंद्र ने राज्यों से जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज लेने समेत दो विकल्पों में से एक को चुनने को कहा है। केंद्र के इस कदम का पश्चिम बंगाल समेत गैर-राजग दलों के शासन वाले प्रदेश विरोध कर रहे हैं। वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर साफ संकेत दे दिया है कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

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जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक में राज्यों को मिलने वाले जीएसटी मुआवजा और कई उत्पादों पर जीएसटी रेट्स रिविजन को लेकर गुरुवार को विशेष रूप से चर्चा हुई। कोरोना के कारण कमाई काफी घट जाने पर केंद्र का कहना है कि राज्य बाजार से कर्ज उठाए, जबकि राज्यों का कहना है कि यह काम केंद्र करे। चालू वित्त वर्ष (2020-21) में जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमी की आशंका है।

केंद्र करे कमी की भरपाई

मित्रा चाहते हैं कि केंद्र इसके जरिए राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई करे। उन्होंने पत्र में लिखा है कि किसी भी हालत में राज्यों से बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि इससे कर्ज भुगतान की देनदारी बढ़ेगी। पुन: इससे ऐसे समय राज्य को व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है, जब अर्थव्यवस्था में मंदी की गंभीर प्रवृत्ति है। इस समय खर्च में कटौती वांछनीय नहीं है।

मित्रा ने यह भी कहा कि क्षतिपूर्ति भुगतान पर पीछे हटने का सवाल ही नही है। 14 प्रतिशत की दर का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। जीएसटी कानून के तहत राज्यों को माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गई है। जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ। कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है।

राज्यों को दो विकल्प दिए

केंद्र ने राज्यों को मुआवजा राशि की भरपाई के लिए 2 विकल्प दिए हैं। पहला विकल्प ये है कि राज्यों को रिजर्व बैंक से 97000 करोड़ का स्पेशल कर्ज मिलेगा जिसपर ब्याज दर काफी कम लगेगा। दूसरा विकल्प यह है कि राज्य क्षतिपूर्ति की पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपए विशेष उपाय के तहत कर्ज लें। इसके लिए राज्यों को सात दिन का समय दिया गया है। राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने गत 26 अगस्त को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। पत्र में मित्रा ने कहा है कि केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वो संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता। जिस फार्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए संसाधन जुटाए। 


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