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West bengal election:ममता-सुवेंदु में सीधी प्रतिद्वंद्विता ने नंदीग्राम को दो भागों में बांटा

नंदीग्राम में मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी के बीच सीधी प्रतिद्वंद्विता ने इलाके को सांप्रदायिक तौर पर दो भागों में बांट दिया है। ममता और सुवेंदु दोनों की ही नंदीग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 06:24 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 06:24 PM (IST)
West bengal election:ममता-सुवेंदु में सीधी प्रतिद्वंद्विता ने नंदीग्राम को दो भागों में बांटा
इलाके में शुरू हुई है धर्म के नाम पर राजनीति

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : नंदीग्राम में मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी के बीच सीधी प्रतिद्वंद्विता ने इलाके को सांप्रदायिक तौर पर दो भागों में बांट दिया है। 2007 में यहां 'तोमार नाम आमार नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम! (तुम्हारानाम, मेरा नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम!)' से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था और आज यहां 'जय श्रीराम' का नारा गूंज रहा है। ममता और सुवेंदु, दोनों की ही नंदीग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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सुवेंदु भले अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं लेकिन उनके पिता शिशिर अधिकारी अभी भी तृणमूल से लोकसभा सांसद हैं। नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन में भाग लेने वाले स्थानीय एक निवासी ने बताया कि पिछले छह-सात साल में नंदीग्राम बहुत बदल गया है। पहले यहां सभी समुदाय के लोग शांति से रहते थे। थोड़ी-बहुत हिंसक घटनाएं होती थीं और मतभेद भी था लेकिन यह राजनीति पर आधारित था, धर्म पर नहीं।अब धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है, जिसमें एक तरफ हिंदू और दूसरी तरफ मुसलमान हैं। अतीत में ऐसा कभी नहीं देखा गया।

नंदीग्राम के गोकुलपुर के रहने वाले बामदेव मंडल ने कहा कि इस सांप्रदायिक विभाजन के लिए तृणमूल सरकार जिम्मेदार है।सरकार ने (मुस्लिम) तुष्टीकरण की नीति अपनाई और एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया। मंडल ने आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर लड़ाई की लेकिन क्या मिला? कुछ नई सड़कों को छोड़कर और साल में 100 दिनों के काम के अलावा कुछ नहीं मिला। कुछ नेताओं और एक निश्चित समुदाय के सदस्यों को सभी लाभ मिले। अब जनता नाराज है और तृणमूल  को सबक सिखाएगी।

तृणमूल पंचायत समिति के एक सदस्य ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ कहा कि मुसलमानों को वरीयता दी गई। मुस्लिम छात्रों को छात्रवृत्ति में भी प्राथमिकता दी गई। माकपा ने लोगों के बीच कभी भेदभाव नहीं किया था। हमने इसे लेकर पार्टी नेतृत्व को आगाह किया था लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। गौरतालाब है कि नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत हिंदू और  30 प्रतिशत मुसलमान हैं।


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