Bengal Chunav: बंगाल की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम के मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह, बूथों पर उमड़े मतदाता
पश्चिम बंगाल मे दूसरे चरण के चुनाव के क्रम में पहली अप्रैल को राज्य के जिन 30 सीटों पर मतदान चल रहा है उनमें से नंदीग्राम विधानसभा सीट शामिल है और उसी नंदीग्राम में इस बार चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प नजारा दिखा रहा है
नंदीग्राम, जागरण संवाददाता। पूर्व मेदिनीपुर जिला अंतर्गत नंदीग्राम मे पहली अप्रैल को सूरज एक नई उम्मीद और आशा के साथ उदय हुआ। सामान्य दिनों की भांति आज भी नंदीग्राम के लोगों की दिनचर्या की शुरुआत हुई। चाय-पान की दुकानें रोज की तरह सुबह-सुबह ही खुल गई। हालांकि वातावरण में एक अजीब सी नीरवता छाई रही और उस नीरवता को भंग कर रही थीं धूल उड़ाते मीडिया के वाहन, जिनकी धमक पौ फटते ही दिखाई देने लगी। साल 2007 के भूमि आंदोलन के बाद शायद यह दूसरी बार है कि देश की सारी मीडिया का रेला नंदीग्राम में दिखाई दे रहा है। लोग अपने घर के छतों पर से कौतूहल दृष्टि से माहौल भांपने मे लगे थे।
वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के प्रतिवाद में हुई हिंसा आज बंगाल के इतिहास में कभी ना भुला सकने वाला अध्याय हो गया है। इस आंदोलन ने 34 साल पुराने वाममोर्चा शासन का अंत कर दिया था। ममता बनर्जी नाम की शख्सियत का उत्थान इसी भूमि आंदोलन के दौरान हुआ था और इस आंदोलन के बल पर वे राज्य की नई मुख्यमंत्री बनी थीं। साथ ही उदय हुआ था एक समय के उनके सबसे विश्वस्त सेनापति शुभेंदु अधिकारी जो इस चुनाव मे भाजपा की ओर से ममता बनर्जी के सामने खड़े हुए हैं।
पश्चिम बंगाल मे दूसरे चरण के चुनाव के क्रम में पहली अप्रैल को राज्य के जिन 30 सीटों पर मतदान चल रहा है, उनमें से नंदीग्राम विधानसभा सीट शामिल है और उसी नंदीग्राम में इस बार चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प नजारा दिखा रहा है, क्योंकि राज्य के सबसे हाइप्रोफाइल सीट पर वर्तमान विधायक व भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी को चुनौती देने के लिए खुद मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी चुनावी मैदान में खड़ी हुई हैं।
नंदीग्राम में 14 साल पहले यानि 2007 में उद्योग के लिए कृषि भूमि अधिग्रहण के प्रतिवाद में खूनी आंदोलन हुआ, जिसने राज्य की राजनीतिक तस्वीर ही बदल दी थी। लेकिन वर्तमान मे वही नंदीग्राम चाहता है कि इलाके में उद्योगों का विकास हो, ताकि काम की तलाश में युवाओं को बाहर न जाना पड़े। इस विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक और सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण साफ तौर पर देखने को मिल रहा है, लेकिन नंदीग्राम के जन साधारण का विकास के मामले में एक ही बात कहना है कि अब वे 2007 के आंदोलन को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहते हैं। रोजगार के लिए उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिले। हालांकि मतदान को लेकर लोग खुल कर कहने से कतराते रहे। सुबह तय समय 7 बजे से मतदान आरंभ हुआ। हालांकि केंदेमारी, 216 नंबर श्यामा सुंदरी चक व हुसैनपुर 13 नंबर पोलिंग बूथ पर ईवीएम खराब होने की सूचना थी।
वहीं विधानसभा इलाके के नंदनायकबाड़ प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए बूथ में बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी सुबह लगभग 7:35 बजे मतदान करने को पहुंचे। शुभेंदु को देखते ही स्थानीय लोग और मीडिया ने उन्हें घेर लिया। जय श्री राम और भारत माता की जय कै उदघोष से इलाका गुंजायमान हो गया। इसी बूथ से मतदान कर बूथ से निकलते हुए स्थानीय बुजुर्ग वोटर नारायण जाना ने ज्यादा कुछ ना कहते हुए कहा कि फिलहाल शांतिपूर्ण माहौल में उन्होने मतदान किया है। अब जो होगा वह 2 मई को सामने आ जाएगा। हालाकि उन्होने इलाके में रोजगार को बढ़ावा देने की बात कही। वहीं पहली बार वोट दे रही पारामीता मन्डल के चेहरे पर पहली बार वोट करने का उत्साह देखते ही बन रहा था। उन्होनें कहा कि वे विकास को ध्यान में रखकर मतदान करने को आई हैं।
इधर सुबह 7 से 10:30 बजे तक बूथों पर लोग लंबी कतार में मतदान के लिए खड़े रहे लेकिन उसके बाद कड़ी धूप के साथ गर्मी बढ़ने से पोलिंग बूथों पर उत्साहित मतदाताओं की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी। अपराह्न 3 बजे के बाद फिर से बूथों पर भीड़ बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई।
उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम की गिनती पूर्व मेदिनीपुर जिले के तटीय इलाकों में होती है। यहां के जल में लवणता अधिक होने कारण केवल एक फसल ही हो पाती हैं। अधिकांश स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में केवल एक फसल होती है। इसलिए हम उद्योग चाहते हैं। चाहे वह कृषि आधारित ही क्यों न हो। हां मत्स्य पालन से कुछ लोगों की आर्थिक दशा में सुधार अवश्य आया है लेकिन नंदीग्राम के विकास के लिए वह नाकाफी है। 34 वर्षों के वाममोर्चा के कुशासन से त्रस्त आकर बंगाल विशेषकर नंदीग्राम के लोगों ने भूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली ममता बनर्जी को 2001 साल में यह सोच कर सत्ता में लाया था कि वह उनकी समस्याओं को दूर कर बंगाल को विकास के मार्ग पर ले जाएंगी लेकिन नंदीग्राम के लोगों को उनसे शिकायत है कि सत्ता में दो दफा आने के बावजूद ममता ने उन्हें लगभग भुला दिया और अब जब उनके ही बागी सिपहसालार सुवेंदु अधिकारी उनका साथ छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए हैं तो उन्हें सबक सिखाने के लिए ममता बनर्जी को नंदीग्राम के लोग याद आए हैं।
रेयापाड़ा स्थित 110 नंबर बूथ सिद्धनाथ बालिका विद्यालय से वोट देकर निकल रहे युवा वोटर राजा भारती ने कहा कि अब यहां के लोग सही मायने में परिवर्तन चाहते हैं। बदलाव का इंतजार है, क्योंकि यहां अधिकतर परिवारों की मासिक आय 6-8 हजार रुपये से अधिक नहीं है। मत्स्य पालन से कुछ लोगों की आर्थिक दशा सुधरी जरूर है लेकिन वे भी गिनती के हैं। युवा रोजगार के लिए घर छोड़ने को मजबूर हैं। ऐसा आखिर कब तक चलेगा।
विधानसभा केंद्र स्थित ब्रज मोहन तिवारी शिक्षा निकेतन बूथ में पहली बार मतदान को पहुची नंदीग्राम बाजार निवासी प्रज्ञा मन्डल ने कहा कि वे पहली बार मतदान कर रही हैं। लिहाजा उत्साह तो है ही लेकिन उससे भी अधिक बदलाव को ध्यान में रखकर मतदान के लिए बूथ पर आई हैं। मुख्यमंत्री खुद एक महिला हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होने यहां की महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए कुछ नहीं किया। सिर्फ कन्याश्री योजना का लाभ दे देने से हम महिलाओं का करियर नहीं संवार सकता है।
विगत 14 सालों में हुए बदलाव के बारे में पूछे जाने पर नंदनायकबाड़ पोलिंग बूथ से मतदान कर निकलते हुए 121एक अन्य बुजुर्ग वोटर 86 वर्षीय रवींद्रनाथ नायक ने कहा कि अधिकांश परिवार के कम से कम एक सदस्य दूसरे राज्य में कमाने गया है। यहां रोजगार का मतलब है कृषि, झींगा या मछली पालन के अलावा मनरेगा के तहत मजदूरी करना है। पढ़े-लिखे युवाओं के पास अकादमिक डिग्रीयां हैं और उनकी रुचि इन सब कामों में नहीं है। लिहाजा उद्योग-धंधों की यहां वर्तमान समय में काफी जरूरत है।
वहीं इसी पोलिंग बूथ पर मतदान के लिए बेटे के साथ व्हीलचेयर पर बैठ कर मतदान करने को पहुंची 72 वर्षीय इंदुबाला पटनायक ने कहा कि इस इलाके में काफी काम हुआ है। लिहाजा उन्हें किसी दल से कोई मतलब नहीं है। सिर्फ वर्तमान विधायक के द्वारा किए गए विकास कार्य के आधार पर मतदान किया है। बता दें कि साल 2007 में भूमि आंदोलन के बाद विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) योजना स्थगित कर दी गई थी, जिसकी वजह से कोई भी उद्योगपति इस इलाके में नहीं आना चाहता है। आंदोलन के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 14 लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी। इस इतिहास की वजह से नंदीग्राम आज भी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है और चावल, सब्जी और मछली की आसपास के इलाके में आपूर्ति करता है।