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हर बार नीति और आदर्श की बातें करने वाली वाम-कांग्रेस का दोहरा चरित्र आया सामने

वाम-कांग्रेस के नेता भाजपा को सांप्रदायिक दल बताते थकते नहीं हैं। परंतु जब फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा पार्टी बनाते हैं तो वह उनके लिए धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। अब अपनी अस्तित्व बचाने के लिए मजहबी नेता के साथ भी हाथ मिलने में फा महसूस कर रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 01:22 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 01:22 PM (IST)
हर बार नीति और आदर्श की बातें करने वाली वाम-कांग्रेस का दोहरा चरित्र आया सामने
वाम-कांग्रेस के नेता भाजपा को सांप्रदायिक दल बताते थकते नहीं हैं।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। हर बार नीति और आदर्श की बातें करने वाली कांग्रेस और वामपंथी दलों की दो मुंही नीति बंगाल में सामने आ गई है। बंगाल के साथ-साथ केरल में भी चुनाव है। यहां वामपंथी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और केरल में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। यही नहीं खुद को धर्मनिरपेक्ष का चैंपियन बताने वाले कामरेड और कांग्रेस नेता अब अपनी अस्तित्व बचाने के लिए मजहबी नेता के साथ भी हाथ मिलने में फा महसूस कर रहे हैं।

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वामपंथी और कांग्रेसी नेता भाजपा को सांप्रदायिक और विभाजनकारी दल बताते थकते नहीं हैं, परंतु जब फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पार्टी बनाते हैं तो वह उनके लिए धर्मनिरपेक्ष हो जाते हैं। उन्हें वाममोर्चा ने अपने हिस्से से तीस विधानसभा सीटें दी हैं। इससे पहले तक पीरजादा का राजनीति से कुछ लेना देना नहीं था। यही सवाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उठा रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता आनंद शर्मा ने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (आइएसएफ) के साथ गठबंधन की आलोचना की। साथ ही कहा कि यह गठबंधन गांधीवादी एवं नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है और पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में चुनिंदा रुख नहीं अपना सकती है। इस पर बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी का तर्क है कि शर्मा पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनकी टिप्पणी भाजपा के एजेंडे के अनुरूप है।

अधीर ने ट्वीट किया कि आनंद शर्मा जी इस तथ्य को जान लें कि माकपा नीत वाममोर्चा बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है जिसमें कांग्रेस अभिन्न हिस्सा है। हम भाजपा की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति एवं अधिनायकवादी शासन को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कांग्रेस को सीटों में पूरी हिस्सेदारी मिली है। वाममोर्चा ने अपने हिस्से से आइएसएफ को सीटें दी हैं। आपके द्वारा माकपा नीत मोर्चे के फैसले को सांप्रदायिक कहने से भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे को ही फायदा होगा।

शर्मा ने कोलकाता में आयोजित रैली पर भी सफाई मांगी थी, जिसमें आइएसएफ के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी मौजूद थे। उन्होंने अधीर की उपस्थिति को पीड़ादायी और शर्मनाक करार दिया है। इसको लेकर अधीर ने कहा कि जो भाजपा की जहरीली सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने को प्रतिबद्ध हैं उन्हें कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए। माकपा राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र का तर्क है कि अब्बास सिद्दीकी को उन्होंने कभी भी सांप्रदायिक बातें बोलते हुए नहीं सुना है।


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