West Bengal Coronavirus Lockdown effect:लॉकडाउन से 'अनाथ' हुए विक्टोरिया के पास चलने वाली बग्घियों के घोड़े
सिटी ऑफ ज्वॉय का दौरा विक्टोरिया मेमोरियल की सैर किए बिना कभी पूरा नहीं होता और इसमें विक्टोरिया के आसपास चलने वाली बग्घियों की सवारी भी शामिल है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। 'सिटी ऑफ ज्वॉय' का दौरा विक्टोरिया मेमोरियल की सैर किए बिना कभी पूरा नहीं होता और इसमें विक्टोरिया के आसपास चलने वाली बग्घियों की सवारी भी शामिल है। लॉकडाउन के कारण यह क्षेत्र अब सुनसान है। कई बग्घियों के मालिक अपने गांव चले गए हैं, जिसके कारण बग्घियां खींचने वाले 100 से ज्यादा घोड़े 'अनाथ' हो गए हैं और कोलकाता मैदान इलाके में जहां-तहां घूम रहे हैं।
पीपुल फॉर एनिमल्स (पीएफए) नामक एनजीओ हालात सामान्य होने तक इन घोड़ों को खिलाने के लिए आगे आया है। एनजीओ के वरिष्ठ सदस्य अजय डागा ने कहा-' मुझे गत शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु प्रेमी मेनका गांधी का फोन आया था। उन्होंने इन घोड़ों की स्थिति के बारे में पूछताछ की और पीएफए को उनकी देखभाल के लिए सहायता करने का आश्वासन दिया है।
वर्तमान में पीएफए सार्वजनिक दान से घोड़ों को खिला रहा है। पीएफए के पास अगले सात दिनों तक घोड़ों को खिलाने के लिए धन है। घोड़ों को खिलाने की लागत लगभग 15,000 रुपये प्रतिदिन है। हमने आवारा घोड़ों को खिलाने का फैसला किया है, जब तक कि लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।
'गौरतलब है कि इमामी ग्रुप के संयुक्त चेयरमैन आरएस गोयनका पीएफए के ट्रस्टी हैं। बग्घियों के मालिकों में से कुछ लॉकडाउन शुरू होने से पहले इन्हें छोड़कर अपने राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार लौट गए थे। उनमें से कुछ वापस आ गए हैं, हालांकि कुछ ही अपने घोड़ों की देखभाल कर रहे हैं।
बग्घी मालिकों में से एक सलीम ने आशंका जाहिर करते हुए कहा-'लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हमारी बग्घियों की सवारी करने के लिए कौन होगा? कोई पर्यटक नहीं आएगा।'
स्थानीय पार्षद सुष्मिता भट्टाचार्य ने कहा-'मुझे जानकारी मिली कि 100 से अधिक घोड़ों को उनके मालिकों द्वारा छोड़ दिया गया है और वे मैदान क्षेत्र में घूम रहे हैं, जिसके बाद मैंने जानवरों को खिलाने के लिए एनजीओ से संपर्क किया। चारे की एक बोरी, जिसकी कीमत आमतौर पर 800 रुपये से 850 रुपये होती है, अब 1,150 रुपये हो गई है। मुझे राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन करके घोड़ों की स्थिति के बारे में पूछताछ की और आश्वासन दिया कि सरकार इन जानवरों की देखभाल सुनिश्चित करेगी।'