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Coronavirus: अभी सांप्रदायिक राजनीति करने का समय नहीं, बीमारी नहीं देखती धर्म व जाति: ममता

Coronavirus बंगाल की सीएम व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि बीमारी धर्म व जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है और यह समय सांप्रदायिक राजनीति करने का नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 06:56 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 06:56 PM (IST)
Coronavirus: अभी सांप्रदायिक राजनीति करने का समय नहीं, बीमारी नहीं देखती धर्म व जाति: ममता
Coronavirus: अभी सांप्रदायिक राजनीति करने का समय नहीं, बीमारी नहीं देखती धर्म व जाति: ममता

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Coronavirus: बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक राजनीति करने वालों को कड़ी लताड़ लगाते हुए राष्ट्रीय आपदा के समय इससे बचने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि बीमारी धर्म व जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है और यह समय सांप्रदायिक राजनीति करने का नहीं है।

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ममता ने यहां राज्य सचिवालय नवान्न में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब उन्हें बंगाल से भी लोगों के इसमें शामिल होने के बारे में पता चला तो उनकी सरकार ने उपयुक्त कदम उठाए हैं। लगभग 200 तब्लीगी जमात के सदस्यों को पहले ही क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया गया है, जिनमें 108 विदेशी शामिल हैं। विदेशियों में मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड व अन्य देशों के नागरिक हैं। ममता ने कहा- 'हम देख रहे हैं कि कुछ लोग निजामुद्दीन की घटना को लेकर सांप्रदायिक राजनीति में लिप्त हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। एक महामारी या बीमारी किसी के धर्म या जाति अथवा हिंदू या मुसलमान को देखकर हमला नहीं करती। मैं संकट के इस समय में हर किसी से सांप्रदायिक राजनीति नहीं करने का आग्रह करती हूं।'

ममता ने यह भी सवाल किया कि जब यह आयोजन वहां हो रहा था तब इसे क्यों नहीं रोका गया? अब बहुत सारी बातें की जा रही हैं। यह सही नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तालाबंदी की घोषणा के कुछ दिन पहले ही दिल्ली में दंगा भी हुआ था। उन्होंने बार-बार दोहराया कि यह सांप्रदायिक राजनीति का समय नहीं है। ममता ने यह भी सवाल उठाया कि कोरोना संकट के बीच आखिर इस जमात में विदेश से आने वाले लोगों को कैसे अनुमति मिली। उन्होंने कहा कि विदेश व गृह मंत्रालय राज्य के हाथ में नहीं है। केंद्र को इसे देखना चाहिए। केंद्र अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर नहीं थोप सकता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना को लेकर 200 से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के आदेश के बावजूद पिछले महीने 13 से 15 मार्च के बीच देश-विदेश के हजारों लोग निजामुद्दीन में धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे। बाद में यहां शामिल होने वाले सैकड़ों लोगों में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई और उनमें से कई की मृत्यु हो गई।

लॉकडाउन बढ़ाने पर केंद्र के निर्णय का इंतजार 

वहीं, 21 दिनों की देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाने की संभावना के बारे में रिपोर्टों पर ममता ने कहा कि उन्हें अभी इस तरह के किसी प्रस्ताव की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों से हमें भी पता चला है कि केंद्र द्वारा लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि के लिए प्रतीक्षा करना होगा। केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है इसका हम भी इंतजार कर रहे हैं। ममता ने कहा, 'मुझे अभी इसकी जानकारी नहीं है। जब प्रधानमंत्री से इस पर बात होगी तब मैं अपनी राय दूंगी। मैं इससे पहले इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलूंगी।' 

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