लालगोला कोलकाता एक्सप्रेस के यात्री बोले- बंगाल चुनाव में भाजपा काफी जोर लगा रही है, कांटे की टक्कर है इस बार
मुर्शिदाबाद का लालगोला रेलवे स्टेशन। शाम के 4.35 बजे हैं। लालगोला-कोलकाता हजारद्वारी एक्सप्रेस खुलने की उद्घोषणा हो रही है। अधिकतर लोग ट्रेन में सवार हो चुके हैं। ट्रेन में यात्रियों की संख्या काफी कम है। पांच मिनट के बाद ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पड़ती है।
रोहित कुमार, मुर्शिदाबाद : स्थान : मुर्शिदाबाद का लालगोला रेलवे स्टेशन। शाम के 4.35 बजे हैं। लालगोला-कोलकाता हजारद्वारी एक्सप्रेस खुलने की उद्घोषणा हो रही है। अधिकतर लोग ट्रेन में सवार हो चुके हैं। ट्रेन में यात्रियों की संख्या काफी कम है। पांच मिनट के बाद ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पड़ती है। ट्रेन खुलने के कुछ देर बाद ही आपसी गपशप में चुनावी चर्चा शुरू होती है। लालगोला से कोलकाता जा रहे इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी तपन घोष कहते हैं तीसरे चरण के मतदान में काफी हिंसा हुई है। इसे देखकर बहुत दुख होता है। पहले चुनावी हिंसा व गड़बड़ी को लेकर बिहार बदनाम था। बंगाल तो उससे कई कदम आगे है। वे कहते हैं- इस बार चुनाव में भाजपा काफी जोर लगा रही है। कांटे की टक्कर है इस बार।
तपन के बगल में बैठी महिला सुजाता कहतीं हैं कि दीदी व दादा की लड़ाई में नुकसान यहां के लोगों को उठाना पड़ा है। उन्होंने केंद्र की स्वास्थ्य बीमा योजना की चर्चा करते हुए कहा कि बंगाल में इसे लागू ही नहीं किया गया। इससे न दादा का कुछ बिगड़ा, न दीदी का। लाभ से वंचित रह गए राज्य के लोग। हमलोगों को इतनी शानदार योजना से वंचित क्यों रखा गया, टीएमसी को इसका जवाब देना चाहिए।
इसी डब्बे में बैठे मुर्शिदाबाद के बुजुर्ग तारक दास कहते हैं कि बंगाल में बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। इस कारण बड़ी संख्या में यहां के लोग काम के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन कर रहे हैं। बातों बातों में ट्रेन भगवानगोला स्टेशन पर पहुंच जाती है। कुछ यात्री यहां ट्रेन से उतरते हैं तो कुछ सवार होते हैं। दो मिनट रुकने के बाद पुन: ट्रेन रवाना हो जाती है। ट्रेन के रफ्तार पकड़ते ही चुनावी चर्चा भी रफ्तार पकड़ लेती है।
राज्य सरकार की नाकामियां गिनाने पर ट्रेन में बैठे टीएमसी समर्थक बिदक जाते हैं। कहते हैं दीदी की ख्याति से सभी पार्टी परेशान है। भाजपा किसी तरह यहां सत्ता चाहती है तभी भाजपा समर्थक सिद्धांत चटर्जी टीएमसी समर्थक की बात को काटते हुए कहते हैं, क्या दीदी सत्ता के लिए काम नहीं कर रहीं? लगा दोनों आपस मे भिड़ जाएंगे तभी बुजुर्ग तारक दास दोनों को शांत कराते हैं। कहते हैं, अरे भाई उतावले क्यों होते हो। जिसको जो पार्टी पसंद है चुपचाप वोट कर आओ। इसी बीच मुर्शिदाबाद के किसान सुदर्शन हलदार कहते हैं, सब हार जीत की बात करते हैं। कोई भी गंगा कटाव के पीडि़त की बात नहीं करता। पिछले ही साल कितना नुकसान हुआ। लोगों के घर बह गए लेकिन कुछ लोगों में ही राहत बंट कर रह गई। इसी बीच पांच बजकर छह मिनट पर ट्रेन मुर्शिदाबाद स्टेशन पहुचती है और मेरा सफर पूरा होता है।