Bengal Assembly Election 2021 : पांडुआ के मजबूत लाल किले को क्या इस बार तृणमूल या भाजपा तोड़ पाएगी ?
1977 से अब तक यहां माकपा का लाल झंडा ही लहराता आ रहा है। 2011 में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में चली परिवर्तन की हवा भी लाल किले को ध्वस्त नहीं कर पाई। हालांकि पिछले लोस चुनाव में भाकपा पांडुआ में कमल खिलाने में सफल हुई थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : हुगली जिले में पांडुआ ऐसी विधानसभा सीट है, जहां 1977 से अब तक माकपा का लाल झंडा ही लहराता आ रहा है। 2011 में बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में चली परिवर्तन की हवा भी इस लाल किले को ध्वस्त नहीं कर पाई, हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में हुगली की सांसद बनीं लाॅकेट चटर्जी ने पांडुआ में कमल खिलाने में सफल हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में लाॅकेट ने पांडुआ विधानसभा केंद्र से सात हजार वोटों की बढ़त बनाई थी।
जीत के लिए पांडुआ में जमकर पसीना बहा रहे तीनों
गौरतलब है कि हुगली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पांडुआ है। इस बार भी माकपा ने अपने पुराने नेता शेख अमजद हुसैन को इस सीट से मैदान में उतारा है। उधर दो बार विधायक और दो बार सांसद रह चुकीं डाॅ. रत्ना दे नाग को तृणमूल कांग्रेस ने पांडुआ से उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने पार्थ शर्मा को इस सीट से खड़ा किया है। तीनों अपनी जीत के लिए पांडुआ में जमकर पसीना बहा रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छा रहा है मुकाबला
पिछले विधानसभा चुनाव में शेख अमजद हुसैन ने तृणमूल उम्मीदवार व मशहूर फुटबॉलर सैयद रहीम नबी को मात्र 4,00 मतों से हराकर इस विधानसभा सीट से दूसरी बार जीत दर्ज की थी। उस समय भाजपा उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य को मात्र 17 हजार वोट मिले थे। बीते लोकसभा चुनाव में पांडुआ में भाजपा की बढ़त के मद्देनजर पार्थ शर्मा उत्साह के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वहीं रत्ना दे नाग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किए गए विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही हैं।
पेयजल, चिकित्सा एव बेरोजगारी यहां अहम समस्या
इस केन्द्र से लगातार दो बार विधायक रह चुके अमजद हुसैन अपनी हैट्रिक के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। देखा जाए तो पिछले 60 वर्षों में इस विधानसभा सीट पर 1962, 1967 तथा 1972 में कांग्रेस की जीत हुई लेकिन 1977 में माकपा नेता ज्योति बसु के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पांडुआ केन्द्र आज भी लाला झंड़े के कब्जे में है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम, आदिवासी, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के वोट हैं। पेयजल, चिकित्सा एव बेरोजगारी यहां की अहम समस्या है।