West Bengal : लाॅॅकडाउन के दौरान कर्ज में डूबीं सोनागाछी की 89 फीसद यौनकर्मी, औपचारिक रुप से भी उबर नहीं पाईं
आर्थिक संकट-एक एनजीओ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में इस बात का हुआ खुलासा। मार्च से एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट एरिया सोनागाछी में देह व्यापार बंद होने के कारण लेना पड़ा था कर्ज। बहुत सी यौनकर्मी कोरोना के डर से अभी भी देह व्यापार नहीं कर रही हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट एरिया सोनागाछी की करीब 89 फीसद यौनकर्मियां लाकडाउन के दौरान कर्ज में डूब गई हैं। एक एनजीओ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है। लाकडाउन के समय इन यौनकर्मियों ने ऋण लिया था। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग आर्गेनाइजेशन द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि कोलकाता में कोरोना महामारी फैलने के बाद सोनागाछी की 73 फीसद यौनकर्मियां देह व्यापार छोड़कर आय के नए रास्ते तलाश रही थीं लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाई और गुजारा करने के लिए उन्हें औपचारिक क्षेत्रों से कर्ज लेना पड़ा। इनमें से 89 फीसद यौनकर्मियां कर्ज नहीं चुका पाई हैं।
कोरोना के डर से अभी भी काम से कर रहीं परहेज
गौरतलब है कि सोनागाछी में रहकर करीब 7,000 यौनकर्मियां देह व्यापार करती है। मार्च से सोनागाछी में देह व्यापार बंद हो गया था। जुलाई में यह फिर से शुरू जरूर हुआ हालांकि बहुत सी यौनकर्मियां कोरोना संक्रमित होने के डर से अभी भी देह व्यापार नहीं कर रही हैं।
आर्थिक संकट से उबारने को बने वैकल्पिक योजना
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष तपन साहा ने कहा कि राज्य सरकार को यौनकर्मियों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए वैकल्पिक योजना तैयार करनी चाहिए।
महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री बोलीं-जानकारी नहीं
राज्य की महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री डॉ. शशि पांजा से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे किसी सर्वेक्षण की जानकारी नहीं है। राज्य सरकार ने लाकडाउन के दौरान यौनकर्मियों का काफी ध्यान रखा और उन्हें सब तरह की सुविधाएं प्रदान की गईं।
आर्थिक दबाव में यौनकर्मी, पहले जैसी स्थिति नहीं
यौनकर्मियों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था दुर्बार महिला समन्वय समिति के एक अधिकारी ने बताया कि यौनकर्मियों पर निश्चित रूप से आर्थिक दबाव तो है ही। सोनागाछी में देह व्यापार भले शुरू हो गया हो लेकिन अब पहले जैसी स्थिति नहीं है।