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West Bengal Lok Sabha Election: उत्तर बंगाल की दो लोकसभा सीटों पर मतदान के साथ राज्य में चुनावी जंग की हुई शुरूआत

उत्तर बंगाल की दो लोकसभा सीटें कूचबिहार (एससी) और अलीपुर दूआर (एसटी) के लिए गुरुवार को मतदान के साथ राज्य में चुनावी जंग की शुरूआत हो गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 09:38 AM (IST)
West Bengal Lok Sabha Election: उत्तर बंगाल की दो लोकसभा सीटों पर मतदान के साथ राज्य में चुनावी जंग की हुई शुरूआत
West Bengal Lok Sabha Election: उत्तर बंगाल की दो लोकसभा सीटों पर मतदान के साथ राज्य में चुनावी जंग की हुई शुरूआत

कोलकाता, अनवर हुसैन। उत्तर बंगाल की दो लोकसभा सीटें कूचबिहार (एससी) और अलीपुर दूआर (एसटी) के लिए गुरुवार को मतदान के साथ राज्य में चुनावी जंग की शुरूआत हो गई है। उत्तर बंगाल की इन दो सीटों पर पहली बाजी जीतने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने-अपने मोहरे चल दिए है। तृणमूल सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वामपंथी दलों के पुराने योद्धाओं को अपने मजबूत मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया है।

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तृणमूल कांग्रेस ने कूचबिहार से इस बार परेशचंद्र अधिकारी को उम्मीदवार बनाया है। अधिकारी वाममोर्चा की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह कुछ माह पहले फारवर्ड ब्लाक छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। उनपर भरोसा करते हुए ममता ने वहां से अपने निवर्तमान सांसद पार्थ प्रतिम राय को इस बार टिकट नहीं दिया। पिछले पंचायत चुनाव में एससी व एससटी बहुल इन क्षेत्रों में भाजपा के कुछ जनाधार बढऩे से ममता ने मोहरे बदल दिए। उन्होंने अपनी पार्टी के सांसद पर भरोसा नहीं कर वामपंथी नेता परेशचंद्र अधिकारी पर भरोसा किया। अधिकारी कितने सफल होते हैं तो चुनाव नतीजा आने के बाद पता चलेगा लेकिन ममता ने जो पांसा फेंका है वह असरदार जरूर है।

पिछले पंचायत चुनाव में इन दोनों क्षेत्रों में कुछ जनाधार बढऩे से भाजपा उत्साहित है। लेकिन उसे भी दल बदलू नेता पर ही भरोसा है। तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भगवा खेमे में शामिल हुए निशिथ प्रमाणिक कूचबिहार सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। पाला बदल कर प्रमाणिक तृणमूल के वामपंथी आधार वाले उम्मीदवारों को कितनी टक्कर दे पाते हैं यह तो बाद में चलेगा लेकिन रंग बदल कर सियासी बिसात पर बिछे इन मोहरों की चाल पर सबकी निगाहें टिकी है। फारवर्ड ब्लाक से गोविंदचंद्र राय और कांग्रेस से पिया राय चौधरी समेत 11 उम्मीदवार इस सीट पर मुकाबला करते दिख रहे हैं।

अलीपुरद्वार लोकसभा सीट पर ममता ने अपने जिस निवर्तमान सांसद दशरथ तिर्की को दोबारा टिकट दिया है उनका आधार भी वामपंथी रहा है। वाममोर्चा के घटक दल आरएसपी छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का फल तिर्की को तत्काल मिला। वह 2014 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए। इस बार भी वह मैदान में डटे हैं और मुकाबला कर रहे हैं। भाजपा ने चाय बागान के बड़े श्रमिक नेता जॉन बरला को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। वाममोर्चा की मिली उरांव और कांग्रेस के मोहनलाल बासुमाता भी यहां से ताल ठोक रहे हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों के इन उम्मीदवारों समेत सात उम्मीदवार यहां से भाग्य आजमा रहे हैं। कुल मिलाकर पर राज्य में प्रथम चरण का चुनावी मुकाबला दिलचस्प है। दोनों सीटों पर चतुष्कोणीय लड़ाई हो रही है।

कूचबिहार संसदीय क्षेत्र में माथाभांगा, कूचबिहार उत्तर, कूचबिहार दक्षिण, सीतलकुची, सिताई, दिनहाटा और नाटाबाड़ी शामिल हैं। दिनहाटा समेत कई विधानसभा क्षेत्रों में फारवर्ड ब्लाक का जनाधार रहा है जो अब तृणमूल का आधार बन गया है। पूर्व मंत्री व वाममोर्चा के वरिष्ठ नेता कमल गुहा ने दिनहाटा में फारवर्ड ब्लाक का जनाधार मजबूत किया था।

उनके बाद उनके बेटे उदयन गुहा वहां से विधायक हुए लेकिन बाद में वह भी फारवर्ड ब्लाक छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। अलीपुरद्वार पर तो 1977 से आरएसपी का कब्जा रहा है। 2014 में अलीपुरद्वार क्षेत्र तभी तृणमूल के कब्जे में आया जब आरएसपी के नेता दशरथ तिर्की आरएसपी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। इसी से दोनों सीटों पर दलबदलू नेताओं के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। 


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