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West Bengal Assembly By Election 2019: तीन सीटों पर मतदान कल, मतगणना 28 को

West Bengal Assembly By Election 2019. लोकसभा चुनाव में बंगाल की 18 सीटों पर विजय हासिल करने वाली भाजपा व तृणमूल के लिए यह उपचुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 05:43 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 07:47 PM (IST)
West Bengal Assembly By Election 2019: तीन सीटों पर मतदान कल, मतगणना 28 को
West Bengal Assembly By Election 2019: तीन सीटों पर मतदान कल, मतगणना 28 को

कोलकाता, जागरण संवाददाता। West Bengal Assembly By Election 2019. बंगाल विधानसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव को सोमवार को मतदान है। माना जा रहा है कि इन तीनों ही सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन कांग्रेस व माकपा गठबंधन तृणमूल और भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है, जब एक बार फिर से सत्तारूढ़ तृणमूल और भाजपा एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। जिन तीन सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उनमें से एक-एक पर तृणमूल, भाजपा और कांग्रेस का कब्जा है।

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इधर, सियासी जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव में राज्य की 18 सीटों पर विजय हासिल करने वाली भाजपा और सत्ताधारी तृणमूल के लिए राज्य की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। यह उपचुनाव लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में राजनीतिक हवा के रुख का संकेत भी देने वाले हैं। सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मानें तो लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की सियासत में काफी फेरबदल हुए हैं व उत्तर व दक्षिण बंगाल में एक बार फिर 'दीदी को बोलो' जनसंपर्क अभियान के बदौलत तृणमूल जमीनी स्तर पर मजबूत हुई है, जिसका इस चुनाव में उसे फायदा भी होगा। लेकिन भाजपा पीके के इन दावों को यह कहते हुए खारिज कर रही है कि आए दिन राज्य में व्याप्त हिंसा की सियासत से यहां के लोग राज्य की ममता सरकार से खासा खफा है और अबकी उपचुनाव में उनका विरोध परिणाम के रूप में सबसे सामने होगा।

वहीं, कांग्रेस व वामदलों के बीच गठबंधन होने से दोनों ही खेमे में उत्साह जरूर है, लेकिन प्रचार के दौरान सामने आई दोनों ही दलों के नेताओं की आपसी खींचतान उसे भारी पड़ सकती है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें पश्चिम मेदिनीपुर जिले की खड़गपुर सदर, नदिया जिले की करीमपुर व उत्तर दिनाजपुर की कालियागंज सीटें शामिल हैं। कालियगंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन से खाली हुई है, जबकि खड़गपुर सीट से पिछली बार विधायक चुने गए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव जीतने की वजह से इस्तीफा दे दिया था। करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मैइत्रा ने भी कृष्णनगर संसदीय सीट से जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष का दावा है कि पार्टी इन तीनों सीटों पर जीत दर्ज करने जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि करीमपुर और कालियागंज सीटों पर उपचुनाव में भाजपा की जीत किसी चुनौती से कम नहीं होगी। क्योंकि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम व दलितों की आबादी बहुलता में है। साथ ही इन क्षेत्रों के ज्यादातर दलित शरणार्थी हैं, जिनके पूर्वज 1971 में मुक्ति युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश से भाग कर भारत आए थे।

दूसरी ओर, भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि वे राज्य में एनआरसी लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, ममता इसके खिलाफ आवाज उठाने के साथ ही 'दीदी को बोलो' अभियान के जरिए स्थानीय स्तर पर लोगों से जुड़ने को लगातार अपने पार्टी नेताओं व कर्मियों को लगाए हुए हैं। ऐसे में तृणमूल शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद है कि उनको इसका उपचुनाव में लाभ मिलेगा। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा माकपा व काग्रेस गंठबंधन को तृणमूल का एकमात्र विकल्प मान रहे हैं। खैर, आगामी 28 नवंबर को मतगणना के साथ ही साफ हो जाएगा कि आखिरकार जनता ने किसे अपना प्रतिनिधि चुना है।

जानें, कौन-कहां से चुनाव मैदान में

भाजपाः

खड़गपुर सदर- प्रेमचंद्र झा

कालियागंज - कमल चंद्रा सरकार

करीमपुर - जयप्रकाश मजुमदार

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तृणमूल कांग्रेसः

खड़गपुर सदर - प्रदीप सरकार

कालियागंज - तपन देव सिन्हा

करीमपुर - विमलेंदु सिंह रॉय

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कांग्रेस-माकपा गठबंधनः

खड़गपुर सदर - चितरंजन मंडल

कालियागंज - धीताश्री रॉय (कांग्रेस)

करीमपुर - गुलाम रब्बी (माकपा)

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