Violence in Bengal: हाई कोर्ट के फैसले पर राज्यपाल धनखड़ चुप, राजनीतिक गलियारे में हो रही है खूब चर्चा
राज्यपाल जगदीप धनखड़ अक्सर ही ममता सरकार के खिलाफ मुखर रहते हैं। पर पिछले कुछ माह से धनखड़ काफी चुप हैं। विधानसभा चुनाव के पहले और बाद में यह सियासी हिंसा को लेकर वह लगातार सवाल उठा रहे थे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः राज्यपाल जगदीप धनखड़ अक्सर ही ममता सरकार के खिलाफ मुखर रहते हैं। पर, पिछले कुछ माह से धनखड़ काफी चुप हैं। विधानसभा चुनाव के पहले और बाद में यह सियासी हिंसा को लेकर वह लगातार सवाल उठा रहे थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोल रहे थे, लेकिन गुरुवार को चुनाव बाद हिंसा को लेकर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, लेकिन राज्यपाल ने चुप्पी साध ली। हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले धनखड़ इस फैसले पर एक भी शब्द नहीं लिखा। प्रेस कांफ्रेस बुलाकर ममता बनर्जी की सरकार को आड़े हाथ लेते थे।
उन्होंने खुद ही हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और असम भी गए थे, जहां बंगाल से हिंसा के भय से घर छोड़ कर पलायन करने वाले लोगों से मिले थे। लेकिन राज्यपाल ने पिछले एक माह से ममता सरकार के खिलाफ एक भी ट्वीट नहीं किया है। आज कोर्ट के इस फैसले के बाद वह कुछ नहीं कहा। ऐसा क्यों इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो रही है। पिछले दो माह में वे दो वार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। पिछले दिल्ली दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। यहां बताते चलें कि ममता ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राज्यपाल पद से धनखड़ को हटाने की मांग की थी।
13 जुलाई को सौंपी गई थी रिपोर्ट
गौरतलब है कि पांच न्यायाधीशों की पीठ को 13 जुलाई को सौंपी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी और दुष्कर्म एवं हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की थी।
इधर, सुनवाई के दौरान मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए प्रदेश सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक एवं तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ भौमिक के अधिवक्ताओं ने कहा कि बगैर उनसे बातचीत किए एनएचआरसी की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ‘कुख्यात अपराधियों’ की सूची में उनसे मिलता-जुलता नाम शामिल कर दिया गया है।