West Bengal : विश्वभारती के कुलपति ने कॉरपोरेट घरानों से आर्थिक कोष के लिए की अपील
विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति ने कॉरपोरेट घरानों से अपील की है कि वे कुछ खर्चों को पूरा करने के लिए आर्थिक कोष गठित करने में मदद करें।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति ने कॉरपोरेट घरानों से अपील की है कि वे कुछ खर्चों को पूरा करने के लिए आर्थिक कोष गठित करने में मदद करें। उन्होंने अपने सहयोगियों, पूर्व छात्रों और शुभचिंतकों से इस बाबत उदारता से दान करने का आग्रह किया।
कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने कहा-'संसदीय अधिनियम द्वारा 1951 में स्थापित भारत का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद विश्वभारती शायद देश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसके पास अभी भी उन खर्चों को पूरा करने के लिए धन कोष नहीं है, जिसके लिए कोई सरकारी अनुदान स्वीकार्य नहीं है।' कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने कहा। यह धन जुटाने में हमारी मदद करने के लिए कॉरपोरेट घरानों से अपील है।'
इस साल फरवरी में विश्वभारती के अधिकारियों ने संकाय सदस्यों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सूचित किया था कि धन की कमी के कारण वेतन में देरी हो सकती है, हालांकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संज्ञान में इस बात के आने के बाद फरवरी की तनख्वाह बहुत ज्यादा हो गई थी। उल्लेखनीय है कि विश्वभारती की स्थापना 1921 में नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह 1951 में यह केंद्रीय विश्वविद्यालय बना।
टैगोर टॉप में बनेगा विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर
जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के रामगढ़ क्षेत्र स्थित टैगोर टॉप में विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल का परिसर बनेगा। यह परिसर कुमाऊं के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। इसमें कुमाऊं भर के छात्र-छात्राओं के साथ ही दुनिया भर के विद्यार्थी अध्ययन कर सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि एशिया में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले प्रथम व्यक्ति रबींद्रनाथ टैगोर ने रामगढ़ के टैगोर टॉप क्षेत्र में विश्वप्रसिद्ध कृति गीतांजलि की रचना की थी। उनका सपना भी था कि इस विश्वविद्यालय को रामगढ़ में खोला जाए, लेकिन अब उनकी सरकार ने रामगढ़ में विश्वभारती विश्वविद्यालय के परिसर को स्वीकृति दे दी है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के इस परिसर से कुमाऊं भर के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। यह परिसर क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा आधार होगा। इससे कुमाऊं क्षेत्र में लाभ मिलेगा। रोजगार के साथ ही पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इसके लिए वह सांसद अजय भट्ट का भी आभार जताने चाहते हैं।
टैगोर ने अंग्रेज मित्र से खरीदी थी भूमि
रामगढ़ में टैगोर ने अपने अंग्रेज मित्र डेरियाज से 40 एकड़ की भूमि खरीदी थी। वह कई बार वहां पहुंचे और 1901 में गीतांजलि के कुछ अंश लिखे। इस जगह को उन्होंने हिमंती गार्डन नाम दिया था।
विश्वभारती विवि की कार्यपरिषद में सहमति
विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन ने 10 जून को हुई कार्यपरिषद में रामगढ़ में परिसर बनाए जाने के लिए सहमति दे दी है। इसके बाद प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को भेज दिया गया था। यह विवि का पहला परिसर होगा।
जागरण ने भी मुद्दे का प्रमुखता से उठाया
दैनिक जागरण ने सात मई, 2020 को रबींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिवस पर प्रमुखता से छापा था कि टैगोर रामगढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहते थे। साथ ही इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से उम्मीद जगने के बारे में उल्लेख किया था। शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालयाज के योगदान का भी जिक्र किया था।