Unlock 01 Effect : तीन महीने से बंदी की मार झेल रहे इस मिल के सैकड़ों मजदूरों को मिली राहत की सांस
कोरोना के चलते देशव्यापी लाकडाउन शुरू होने के बाद से बंद पड़ी बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा स्थित एशिया की सबसे प्राचीन वलिग्टन जूट मिल शनिवार से खुल गई।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना के चलते देशव्यापी लाकडाउन शुरू होने के बाद से बंद पड़ी बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा स्थित एशिया की सबसे प्राचीन वलिग्टन जूट मिल शनिवार से खुल गई। तीन महीने से बंदी की मार झेल रहे इस मिल के सैकड़ों मजदूरों ने मिल खुलने से राहत की सांस ली है। शनिवार सुबह कुछ मजदूरों ने मिल में जाकर मेंटेनेंस का काम किया। श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रबंधन की ओर से मिल के दोनों गेट पर सैनिटाइजर मशीनें लगाई गई है। मिल के अन्दर जाने वाले श्रमिक एवं कर्मचारियों को इस मशीन के अन्दर से ही प्रवेश होकर मिल में घुसना पड़ रहा है। प्रबंधन द्वारा पूरे मिल कंपाउंड को भी सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई है।
मालूम हो कि कोरोना संकट के कारण केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में मार्च में लॉकडाउन किए जाने के समय से ही यह मिल बंद था। मंगलवार को सर्वप्रथम रिसड़ा नगरपालिका के प्रशासक विजय सागर मिश्रा ने वलिग्टन जूट मिल प्रबंधन एवं यहां के यूनियन प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। लगभग पांच घंटे तक चली बैठक के बाद बहुत हदतक मिल को पुनः चालू करने पर सहमति बनी। सरकारी हस्तक्षेप के बाद एक बार फिर से मिल का गेट मजदूर के लिए खोल दिया गया।
रिसड़ा नगरपालिका क्षेत्र में काफी मजदूर
विजय सागर मिश्रा का कहना है कि रिसड़ा नगरपालिका क्षेत्र में बड़ी संख्या में जूट मिल में काम करने वाले मजदूर रहते हैं। तीन महीने से वलिग्टन जूट मिल बंद होने से मजदूरों की माली हालत काफ़ी खराब हो गई थी। श्रमिकों को फिर से रोजी- रोटी मिले इसके लिए हम लोगों ने प्रबंधन एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि से बात की।
मेंटनेंस होने के बाद मिल में उत्पादन शुरू
इधर, मिल के सहायक कार्मिक प्रबंधक मनीष बनर्जी द्वारा मिल गेट पर एक नोटिस जारी करके शनिवार से मिल में मेंटेनेंस के काम से मिल खोले जाने की सूचना दी गई है। बताया गया है कि मेंटनेंस का काम पूरा होने के बाद मिल में उत्पादन शुरू किया जायेगा। सरकारी दिशा निर्देश को मानते हुए ही मिल में मजदूर काम करेंगे। इस मिल में लगभग दो हजार मजदूर काम करते है। मिल बंद होने के चलते अधिकांश मजदूर बस एव अन्य साधनों से अपने गांव बिहार तथा उत्तरप्रदेश चले गये हैं। उन्हें भी वापस बुलाने की व्यवस्था की जा रही है।