Bengal Chunav Interview: बंगाल पर 4 लाख करोड़ का कर्ज, कैसे 5 साल में बनाएंगे सोनार बांग्ला, जानें गजेंद्र शेखावत का जवाब
भाजपा की सरकार बनने पर दस वर्षों में बंगाल वापस अपने स्वर्णिम काल में लौटेगा। बंगाल के चुनावी हालात पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने दैनिक जागरण बंगाल के राज्य ब्यूरो प्रमुख जयकृष्ण वाजपेयी के साथ खुलकर बातें की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश -
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री व राजस्थान के जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत कई महीनों से बंगाल में भाजपा को जिताने के लिए सक्रिय हैं। बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा नेतृत्व की ओर से बनाई गई सुपर-7 टीम के अहम सदस्य शेखावत के कंधे पर कोलकाता, उत्तर 24 परगना व नदिया जिले के पांच लोकसभा क्षेत्रों की 35 विधानसभा सीटों पर पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी है। इसके लिए वह दिन-रात एक कर जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। शेखावत का कहना है कि प्रगति और उत्थान की बाट जोह रहा बंगाल सत्ता परिवर्तन को आतुर है।
यह चुनाव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। शीघ्र ही भाजपा के नेतृत्व में राज्य के सुनहरे भविष्य की कहानी लिखी जाएगी। भाजपा की सरकार बनने पर दस वर्षों में बंगाल वापस अपने स्वर्णिम काल में लौटेगा। बंगाल के चुनावी हालात पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने दैनिक जागरण, बंगाल के राज्य ब्यूरो प्रमुख जयकृष्ण वाजपेयी के साथ खुलकर बातें की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :-
राजस्थान और बंगाल की राजनीति में क्या अंतर देखते हैं?
- देखिए, राजस्थान में राजनीतिक लड़ाई सीधे-सीधे दो धड़ों भाजपा व कांग्रेस के बीच है। कोई तीसरा फ्रंट वहां आज तक नहीं बन पाया। बंगाल में तीन धड़े थे और अब भाजपा के रूप में चौथा भी हो गया है। चूंकि, कांग्रेस व वाममोर्चा के एक होने से अब तीन ही धड़े हैं, जिनके बीच मुकाबला है। त्रिकोणीय मुकाबले में हमेशा भाजपा को फायदा मिला है। दूसरा, बंगाल में राजनीतिक ङ्क्षहसा बहुत बड़ी समस्या है। राजस्थान में पिछले पांच-दस साल के कालखंड को छोड़ दिया जाए तो कभी इस तरह की राजनीतिक ङ्क्षहसा नहीं रही। बंगाल में हमारे 135 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को मार दिया गया। हजारों कार्यकर्ता घर छोड़कर भाग गए, क्योंकि उनके नाम पर झूठे मुकदमे कर दिए गए। यहां जिस प्रकार राजनीति का पतन हुआ, अपराधियों व माफियाओं के साथ राजनीतिक गठजोड़ हुआ, राजनीति व भ्रष्टाचार को संस्थागत कर दिया गया, प्रशासन का राजनीतिकरण कर दिया गया, यह दोनों राज्यों में एक बड़ा अंतर है।
-------------------
आप लोग पांच साल में सोनार बांग्ला बनाने की बात कर रहे हैं, बंगाल पर चार लाख करोड़ का कर्ज है, ऐसे में यह कैसे संभव होगा?
- बंगाल की धरती असीम संभावनाओं वाली है। आजादी के बाद तक कलकत्ता (अब कोलकाता) देश की आर्थिक राजधानी वैसे ही नहीं थी। उद्योग के लिए जो भी चाहिए, यहां सबकुछ है। लेकिन, पहले कांग्रेस, फिर वामपंथी और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में यहां औद्योगिक इको सिस्टम को खत्म कर दिया गया। इसके कारण यहां आर्थिक व औद्योगिक विकास गर्त में चला गया। यहां तोलाबाजी (वसूली), यूनियनबाजी, हड़ताल की राजनीति शुरू हो गई और राज्य सरकार ने इसे अपना हथियार बना लिया। जिस दिन भाजपा की सरकार बनेगी, उसके साथ ही यहां वापस इको सिस्टम पटरी पर आना शुरू हो जाएगा। आने वाले 10 वर्षों में बंगाल उसी स्थान पर पहुंच जाएगा, जहां पहले था।
---------------
ममता बनर्जी लगातार भाजपा नेताओं को बाहरी बता रही हैं?
- देखिए, हमारा देश विविधता में एकता वाला देश है। दूसरे प्रांत से आए अपने देश के लोगों को बाहरी कहना लोकतंत्र व संघीय ढांचा का अपमान है। मैैं पूछना चाहता हूं कि जो तीन-तीन पीढ़ी से यहां रहे रहे हैं और बंगाल की उन्नति में अपना योगदान दे रहे हैं, वह आपको बाहरी लगते हैं तो क्या अवैध रूप से यहां आए बांग्लादेशी आपके दामाद हैं? बंगाल के लोग सब देख रहे हैं और इसका जवाब देंगे। ममता जी की जमीन खिसक गई है, इसीलिए उन्हें अब खिसियाहट में सभी लोग बाहरी दिख रहे हैं।
----------------
बंगाल में आपके पास कोई सीएम चेहरा नहीं है?
- हमारे यहां कोई चेहरे-मोहरे नहीं होते हैं। भाजपा, कार्यकर्ताओं की पार्टी है। यहां बूथ के कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं। जब हम जीतकर आएंगे तो विधायक व पार्टी नेतृत्व मिलकर सीएम का चुनाव करेंगे।
-----------------
इससे पहले भाजपा बंगाल में अब तक क्यों नहीं पनप पाई, इसके पीछे कारण?
- देखिए, वामपंथियों का शासन करने और लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का एक ही यूएसपी है- भय पैदा करो और शासन करो। पूरी दुनिया में आप जहां भी देख लें, चाहे चीन में, उत्तर कोरिया में या भारत के किसी राज्य में, जहां भी उनका शासन रहा, पुलिस प्रशासन के शह पर पलने वाले गुंडों के माध्यम से भय पैदा कर अपने शासन को कायम रखा। कोई भी आदमी जो विरोध में आवाज उठाया उसे दबा दिया गया, ताकि कोई और आवाज नहीं उठा सके। ये राजनीति यहां कांग्रेस ने शुरू की और वामपंथी इसके विशेषज्ञ थे, लिहाजा जब वे सत्ता में आए तो उन्होंने तीन दशक से ज्यादा समय तक इसे संस्थागत बना दिया।
2006 के विधानसभा चुनाव में इतने संघर्ष के बावजूद ममता दीदी को कोई रिस्पांश नहीं मिला। भाजपा को यहां उतना तवज्जो नहीं मिलता था, फिर 2011 में लोगों ने ममता जी पर भरोसा किया, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने बहुत अत्याचार सहा है, लेकिन ममता जी ने भी लंबे समय तक सत्ता में बने रहने के मोह में वामपंथियों का ही रास्ता चुन लिया। अब लोगों को लग रहा है कि एकमात्र भाजपा ही विकल्प है। इसलिए इस बार लोगों ने परिवर्तन का मन बना लिया है।