इस रेल परियोजना के तहत 24 गांवों के 40 हजार ग्रामीण प्रभावित होंगे
53 किलोमीटर लंबे प्रस्तावित इस रेल परियोजना का 70 प्रतिशत भाग कंचनजंघा माउंटेन रेंज, फूटहिल्स व तीस्ता नदी वेली से होकर गुजरने वाली है।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। वर्षो से लंबित सेवक-रंगपो रेल परियोजना के शुरू करने के प्रक्रिया जहां धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, वहीं इस परियोजना से प्रभावित होने वालों के प्रति भी आवाजें उठ रही हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय समाज शास्त्र विभाग व एनबीयू के ही हिमालयन स्टडीज सेंटर की ओर संयुक्त रुप से एक कार्यशाला आयोजित की गई।
उक्त कार्यशाला में उपस्थिति वक्ताओं ने रेल प्रोजेक्ट चलते प्रभावित होने वाले ग्रामीणों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि परियोजना शुरू करने से पहले उनकी आवाज सूनी चाहिए। उनका कहना था 53 किलोमीटर लंबे प्रस्तावित इस रेल परियोजना का 70 प्रतिशत भाग कंचनजंघा माउंटेन रेंज, फूटहिल्स व तीस्ता नदी वेली से होकर गुजरने वाली है।
यह क्षेत्र भू-स्खलन, बाढ़ व भूकंप प्रभावित क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में चल रही विभिन्न विद्युत परियोजनाओं से यहां के भूगर्भ व पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। उनका कहना था कि उक्त रेल परियोजना के तहत 24 गांवों के 40 हजार ग्रामीण प्रभावित होंगे। जबकि इन प्रभावितों के हित के लिए क्या किया जाएगा, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
आज तक इस मामले में वनांचलवासियों से कोई बात तक नहीं की गई। यहां रहने वालों को आज तक जमीन का अधिकार नहीं दिया गया। जबकि वह लोग वनाधिकार कानून अधिनियम 2006 लागू करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। इन गावों में रहने वालों को इसका कानूनी अधिकार देते हुए आर्थिक सहायता व पूनर्वासन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस मौके पर उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय कला, वाणिज्य व विधि विभाग की डीन व एनबीयू के उप कुलपति प्रभारी प्रोफेसर संचारी रॉय मुखर्जी, एनबीयू के रजिस्ट्रार डॉ दिलीप सरकार, समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर कार्यक्रम संयोजक स्वतहसिद्ध सरकार व हिमालयन स्टडीज सेंटर के शिक्षक व कार्यक्रम संयोजक मैत्री चौधरी समेत विभिन्न संगठनों से आए वक्ताओं ने अपने वक्तव्य रखे।