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West Bengal : बस की ड्राइविंग सीट छोड़ 21 साल की कल्पना सड़क पर बैठकर बेच रही सब्जियां

बस की ड्राइविंग सीट छोड़ 21 साल की कल्पना सड़क पर बैठकर बेच रही सब्जियां बस चलाकर पहले जैसी कमाई नहीं हो पाने के कारण सब्जियां बेचने का किया फैसला।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 07:40 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 10:58 AM (IST)
West Bengal : बस की ड्राइविंग सीट छोड़ 21 साल की कल्पना सड़क पर बैठकर बेच रही सब्जियां
West Bengal : बस की ड्राइविंग सीट छोड़ 21 साल की कल्पना सड़क पर बैठकर बेच रही सब्जियां

कोलकाता, राज्य ब्यूरो।  बस की ड्राइविंग सीट पर बैठने वाली 21 साल की कल्पना इन दिनों सड़क पर बैठकर सब्जियां बेच रही है। कोलकाता में इस समय बहुत कम बसें चल रही हैं। सड़कों पर यात्री भी बहुत कम हैं इसलिए बस चलाने से भी पहले जैसी कमाई की उम्मीद नहीं है इसलिए कल्पना ने सब्जियां बेचने का फैसला किया। कल्पना धर्मतल्ला-नपाड़ा के बीच चलने वाली 34सी रूट की निजी बस की चालक है।

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लॉकडाउन के समय कोलकाता में लगातार 70 दिनों तक बसें नहीं चलीं। कल्पना के परिवार को खाने-पीने के लाले पड़ गए। तभी उसने सब्जियां बेचने का फैसला किया।वह अपने माता-पिता के साथ मिनीडोर लेकर रोज रात थोक बाजार के लिए निकल पड़ती है और वहां से सब्जियां खरीदकर उन्हें सुबह बरानगर नपाड़ा स्थित बंगलक्ष्मी बाजार में बेचती है। कल्पना ने कहा-"बस चलाकर जितनी कमाई हो जाया करती थी, उतनी सब्जियां बेचकर नहीं हो पाती है लेकिन अभी कोई चारा नहीं है। वैसे भी बसें कम चल रही हैं क्योंकि सड़कों पर यात्री कम हैं इसलिए बस चलाकर भी पहले जितनी कमाई नहीं हो पाएगी। घर में बैठे रहने से अच्छा है कि कोई काम किया जाए इसलिए मैंने सब्जियां बेचने का फैसला किया।'

गौरतलब है कि भाड़ा बढ़ाने को लेकर बस मालिकों व राज्य सरकार में काफी समय से तनातनी चल रही है। इस कारण भी बहुत से बस मालिक अपनी बसें नहीं उतार रहे। कल्पना ने कहा-"मुझे उम्मीद है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा और सड़कों पर पहले की तरह बसें चलनी शुरू होंगी। तब मैं फिर से बस चलाऊंगी। कल्पना ने कहा-"लॉकडाउन के समय किसी ने हमारी मदद नहीं की। कोई एक किलो चावल लेकर भी हमारे पास नहीं आया। हमने बेहद मुश्किल से दिन काटे हैं और अभी भी परेशानी से जूझ रहे हैं।'

कल्पना को उसके पिता ने वाहन चलाना सिखाया। धर्मतल्ला-नपाड़ा रूट के नियमित बस यात्री कल्पना को अच्छी तरह से जानते हैं और कल्पना की ड्राइविंग की दाद देते हैं। कल्पना के पिता भी बस चालक थे। एक दुर्घटना का शिकार हो जाने के कारण वे बस चलाने में असमर्थ हो गए। इसके बाद कल्पना ने ड्राइविंग सीट संभाल ली। वह कोलकाता की सबसे युवा महिला बस चालक है। 


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