विधानसभा चुनाव में तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद से तृणमूल की बढ़ती महत्वाकांक्षा
Bengal Politics बंगाल में कांग्रेस को खत्म करने के बाद अब ममता की नजर अन्य राज्यों पर है। राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने गोवा में तृणमूल कांग्रेस के विस्तार का एलान करते हुए कहा कि कांग्रेस केवल इंटरनेट मीडिया पर लड़ाई कर रही है।
कोलकाता, स्टेट ब्यूरो। Bengal Politics गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता लुइजिन्हो फलेरियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके अगले ही दिन गुरुवार को कोलकाता की भवानीपुर विधानसभा सीट के लिए वोट डाले गए। यह उपचुनाव गहरे संकेत दे रहे हैं, जिसका राष्ट्रीय राजनीति पर खासा असर पड़ सकता है। यह उपचुनाव सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जीत या हार से जुड़ा नहीं है। यहां हार और जीत का अंतर तय करेगा कि कौन कितने पानी में है। यहां तक कि भाजपा के नेताओं ने भी अपनी आंखें बंद नहीं कर रखी हैं। वे जानते हैं कि वास्तव में यहां उनके उम्मीदवार की जीत से ज्यादा क्या दांव पर लगा है।
बीते विधानसभा चुनाव में तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे क्षेत्रीय दलों की महत्वाकांक्षाएं काफी बढ़ गई हैं। ममता भवानीपुर में अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहती रही हैं कि हम भारत के विभिन्न हिस्सों में लड़ेंगे। त्रिपुरा, असम, गोवा, यूपी में खेला होबे। भाजपा को पता होना चाहिए कि आखिरकार एक पार्टी उसका मुकाबला करने के लिए सामने आ गई है। इसी के साथ कांग्रेस पर भी हमला शुरू हो गया। सबसे पहले तृणमूल के मुखपत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विफल बताते हुए विपक्षी चेहरे के रूप में एक ही नेता ममता बनर्जी के होने का दावा किया गया। इसके बाद ममता ने यह कह दिया कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को ईडी और सीबीआइ क्यों नहीं पकड़ती है।
इसके एक दिन बाद ही फिर से तृणमूल के मुखपत्र में दावा किया गया कि कांग्रेस तो दूषित छोटा तालाब है और तृणमूल कांग्रेस समंदर है। इसीलिए असली कांग्रेस तो तृणमूल ही है। अब उसी लाइन को तृणमूल नेता भी आगे बढ़ने लगे हैं जिसका एक प्रमाण बुधवार को मिला जब गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री ने तृणमूल का झंडा थामा तो ममता के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और गोवा में तृणमूल कांग्रेस के विस्तार का एलान करते हुए कहा कि कांग्रेस केवल इंटरनेट मीडिया पर लड़ाई कर रही है।
ऐसे में तृणमूल चुप नहीं बैठ सकती है। वह मैदान में उतर कर भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी। यह सब रणनीति के तहत हो रहा है। कांग्रेस से नेताओं को तोड़कर जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि गोवा, असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों के कांग्रेसी नेताओं को जोड़ा जा रहा है, ताकि ममता को विपक्ष के चेहरे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने खड़ा किया जा सके। देखने वाली बात होगी आखिर यह रणनीति कितनी कारगर होती है?