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तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के मुख्य संयोजक सुखेंदु शेखर राय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्यता छोड़ी

कहा-देश की इस विकट आर्थिक स्थिति में हमें संसद में कुछ भी कहने की इजाजत नहीं। उनका तर्क है संसदीय समिति की अध्यक्ष साल-दर-साल बैठक नहीं बुलाती हैं। लिहाजा समिति अर्थहीन है। दो वर्षों में राष्ट्रपति या केंद्रीय मंत्री द्वारा कोई बैठक नहीं बुलाई। नतीजतन समय बर्बाद करना व्यर्थ है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 08:43 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 10:27 PM (IST)
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के मुख्य संयोजक सुखेंदु शेखर राय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्यता छोड़ी
आरोप-मोदी सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को नियंत्रित करने के साथ संसद की महत्वपूर्ण समितियों पर हावी होने की कर रही कोशिश।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के मुख्य संयोजक सुखेंदु शेखर राय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्यता खुद छोड़ दी है। उनका तर्क है कि संसदीय समिति की अध्यक्ष साल-दर-साल बैठक नहीं बुलाती हैं। लिहाजा समिति 'अर्थहीन' है। समिति की अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं। कथित तौर पर उन्होंने 2019 के बाद इतने दिनों तक समिति की कोई बैठक नहीं बुलाई है। इस साल (अक्टूबर) समिति का कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले उन्होंने सलाहकार समिति की बैठक बुलाई है। लेकिन सुखेंदु शेखर राय ने इससे पहले ही पार्टी के राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन को अपने फैसले की जानकारी दी। नतीजतन, तृणमूल कांग्रेस इस साल समिति के नए कार्यकाल के दौरान अब सुखेंदु शेखर का नाम नहीं दे रही है।

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संसद में कुछ भी कहने की इजाजत नहीं : सुखेंदु

-पिछले दस साल से समिति के सदस्य रहे सुखेंदु शेखर ने कहा कि देश की इस विकट आर्थिक स्थिति में हमें संसद में कुछ भी कहने की इजाजत नहीं है। नाम से एक सलाहकार समिति है, लेकिन पिछले दो वर्षों में राष्ट्रपति या केंद्रीय मंत्री द्वारा कोई बैठक नहीं बुलाई गई है। एक तरफ सुधार के नाम पर सरकारी संसाधनों को बेचा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ उद्योगपतियों को अमीर बनाया जा रहा है। सरकार दिवालिया हो गई है, लेकिन इन शब्दों को कहने के लिए कोई जगह नहीं है। नतीजतन, इस समिति में अपना समय बर्बाद करना व्यर्थ है। विभिन्न संसदीय स्थायी समितियों के नए सदस्यों के नामों की घोषणा कल की गई है। पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा और 16 राज्यसभा सदस्यों में से एकमात्र सुदीप बंद्योपाध्याय ही एक स्थायी समिति (केंद्रीय खाद्य, जन वितरण व क्रेता संरक्षण मंत्रालय ) के अध्यक्ष हैं।

संसद की महत्वपूर्ण समितियों पर हावी होने की कोशिश कर रही है नरेन्द्र मोदी सरकार

-राय ने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्षी नेताओं को हटाकर संसदीय स्थायी समितियों की अध्यक्षता अपने हाथ में लेती रही है। सरकार के विभिन्न निर्णयों पर पुनर्विचार करने या उन्हें अवरुद्ध करने में समितियों की भूमिका होती है। विरोधियों का आरोप है कि नरेन्द्र मोदी सरकार विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं को नियंत्रित करने के साथ-साथ संसद की महत्वपूर्ण समितियों पर हावी होने की कोशिश कर रही है।

बंगाल के किसी भी भाजपा नेता को अध्यक्ष का पद नहीं दिया गया

-हालांकि इस बार भी पश्चिम बंगाल में किसी भी भाजपा नेता को अध्यक्ष का पद नहीं दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस पद के लिए शिशिर अधिकारी (जो तृणमूल सांसद होने के बावजूद भाजपा में शामिल हुए हैं) के नाम पर विचार किया गया। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष को पत्र भेजकर उनके इस्तीफे की मांग की गई है। इसलिए शिशिर अधिकारी को किसी समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया गया।


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